21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नौतपा में लू नहीं चलने का क्या नुकसान, उत्तर प्रदेश में बदला मौसम पैटर्न, जानिए क्या होगा असर

Weather Change In UP : उत्तर भारत में भीषण गर्मी की पहचान माने जाने वाले "नौतपा" में इस बार उत्तर प्रदेश तप नहीं रहा है। नौतपा में सूर्य का प्रभाव अधिकतम होता है। जैसे ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, गर्मी चरम पर पहुंचती है। इस दौरान तापमान 44-47°C तक पहुंचता है। नौतपा न तपने पर क्या क्या हो सकते हैं नुकसान

3 min read
Google source verification

Weather Change In UP : उत्तर भारत में भीषण गर्मी की पहचान माने जाने वाले "नौतपा" में इस बार उत्तर प्रदेश तप नहीं रहा है। नौतपा की शुरुआत 25 मई से होती है, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और 9 दिन तक धरती पर आग बरसती है। लेकिन इस बार मौसम का मिजाज ही बदला हुआ है- लू की बजाय बारिश हो रही है और तापमान सामान्य से 4-6 डिग्री कम चल रहा है।

मौसम विभाग ने नौतपा के दूसरे दिन यानी 26 मई को भी यूपी के कई हिस्सों में बारिश और आंधी का अलर्ट जारी किया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है। क्या लू नहीं पड़ने से कोई नुकसान होगा? क्या यह किसानों के लिए राहत है या सावधानी का संकेत? और सबसे अहम ऐसा हो क्यों रहा है?

नौतपा: क्यों होते हैं ये 9 दिन सबसे गर्म?

नौतपा में सूर्य का प्रभाव अधिकतम होता है। जैसे ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, गर्मी चरम पर पहुंचती है। इस दौरान तापमान 44-47°C तक पहुंचता है। लू चलती है जो बुजुर्गों और बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है। भूमि का तापमान बढ़ने से बारिश के पूर्व संकेत बनते हैं। लेकिन इस बार, पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से नमी आने की वजह से पूरे मौसम की संरचना बदल गई है।

इस बार क्या अलग हो रहा है?

तापमान: लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज में अधिकतम तापमान 38°C से ऊपर नहीं गया। पिछले 15 साल में यह पहला मौका है जब नौतपा में लू का एक भी दिन रिकॉर्ड नहीं हुआ। बारिश: पूर्वांचल और तराई बेल्ट में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है।

नौ तपा में लू नहीं चलने नुकसान क्या हो सकते हैं?

धान की बुवाई में भ्रम- मौसम असामान्य होने से किसान तय नहीं कर पा रहे कि बुवाई कब करें।
गेंहूं की कटाई के बाद सूखने में समस्या- जिन इलाकों में गेंहूं या आलू की फसल संग्रहित हो रही है, वहां बारिश नुकसानदेह हो सकती है।
कीट रोग बढ़ने का खतरा- अत्यधिक नमी से फसलों में कीट और फफूंद की संभावना बढ़ जाती है।

आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?

पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय: मई में दो बड़े पश्चिमी विक्षोभ आए हैं, जिससे उत्तर भारत में बादल और बारिश हुई।
एल-निनो का प्रभाव: प्रशांत महासागर में एल-निनो की स्थिति मौसम को असामान्य बना रही है।
क्लाइमेट चेंज: लंबे समय तक जलवायु परिवर्तन का असर अब नौतपा जैसे पारंपरिक मौसम चक्र पर भी दिखने लगा है।

यह भी पढ़ें : दिल्ली, जयपुर, भोपाल या पटना से EV लेकर आ रहे हैं? अब यूपी में टेंशन फ्री टूरिज्म

इस बार का नौतपा उत्तर प्रदेश के लिए सर्दियों जैसे संकेत लेकर आया है। यह बदलाव भले ही तत्काल राहत दे रहा हो, लेकिन दीर्घकालिक संकेत खतरनाक भी हो सकते हैं। मौसम का यह मिजाज इस बात की चेतावनी है कि अब पारंपरिक कृषि कैलेंडर और मौसम अनुमान दोनों को दोबारा परिभाषित करने का समय आ गया है।

नौतपा के लिए बड़े-बुजुर्गों ने यह कहावत कही है

'दोए मूसा, दोए कातरा, दोए तिड्डी, दोए ताव।
दोयां रा बादी जळ हरै, दोए बिसर, दोए बाव।।'

अर्थात, पहले दो दिन हवा (लू) न चले तो चूहे अधिक होंगे। दूसरे दो दिन हवा न चले तो कातरे (फसलों को नष्ट करने वाले कीट) बहुत होंगे। तीसरे दो दिन हवा न चले तो टिड्डी दल आने की आशंका रहती है। चौथे दिन हवा न चले, तो बुखार आदि रोगों का प्रकोप रहता है। पांचवें दो दिन हवा न चले, तो अल्प वर्षा, छठे दो दिन लू न चले तो जहरीले जीव-जन्तुओं (सांप-बिच्छू आदि) की बहुतायत और सातवें दो दिन हवा न चले तो आंधी चलने की आशंका रहेगी। सरल अर्थ में अगर हम समझें तो अधिक गर्मी पड़ने से चूहों, कीटों व अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं के अण्डे समाप्त हो जाते हैं। क्योंकि यह उनका प्रजनन काल होता है।