
sitapur dogs
लखनऊ. 100 बेज़ुबानों की जान लेकर अब प्रशासन सतर्क हुआ है कि उन्हें बेज़ुबानों की जान नहीं लेनी चाहिए। यही वजह है कि डीएम सीतापुर शीतल वर्मा ने कड़े निर्देश देते हुए गाँव में घूमने वाले कुत्तों को मरने पर रोक लगाईं है। पत्रिका ने पूरा मामला प्रमुखता से उठाया था। अपनी खबर में हमने इस बात का खुलासा किया था कि हमला करने वाले कथित आदमखोर कुत्ते, दरअसल जंगली जानवर हो सकता है। चश्मदीदों ने भी इस बात पर हामी भरी थी।
अचानक कैसे सामान्य हो गए आदमखोर कुत्ते ?
बच्चों पर जानलेवा हमला करने की आशंका के चलते सीतापुर से लखनऊ भेजे गए कथित 30 कुत्तों को आदमखोर बताया जा रहा था। लेकिन कान्हा उपवन पहुंचे इन कुत्तों का व्यवहार सामान्य है। उन कुत्तों को अन्य सामान्य कुत्तों के साथ भैरो चरण कुंज में रखा गया है। ये कुत्ते दूध और दलिया का सेवन कर रहे हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ़ एके राव के मुताबिक इन कुत्तों ने पहले से रखे गए कुत्तों पर भी हमला नहीं किया। इनकी नसबंदी कर सीतापुर भेज दिया जाएगा। इससे पहले मुख्य पशु चिकित्साधिकारी सीतापुर डॉ. आरपी यादव भी मान चुके हैं कि प्रभावित इलाकों में एक भी ऐसा कुत्ता नहीं मिला है, जिसको रैबीज हो।
डीएम की ओर से आदेश देते हुए ये भी बताया गया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की दो सदस्यीय टीम जिले में मौजूद है। वे क्षेत्र में पड़ताल कर रही है। निदेशक पशुधन की देखरेख में आईवीआरआई की टीम भी जांच करने पहुँच चुकी है। कुत्तों में यह बदलाव क्यों आया/ हमला करने वाले कुत्ते ही थे या कोई अन्य जानवर इसका पता लगाया जा रहा है।
ग्रामीणों ने कहा हमें तो कुत्तों ने ही बचाया !
कई ग्रामीणों की प्रतिक्रिया आई है। हमले में घायल हुए एक बच्चे के परिवारजन का कहना कि जानवर कुत्ते जैसे दीखते हैं लेकिन हैं। वे गाँव के कुत्तों से अलग हैं। उनका मुँह और शरीर दोनों बड़ा है। वही एक दूसरे चश्मदीद ने बताया कि किस तरह गाँव के कुत्तों ने उन्हें जंगली जानवरों के हमले से बचाया।
Published on:
09 May 2018 06:47 pm
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