
Tehsil Level Changes फोटो सोर्स : Patrika
UP Govt Mandates Nayab Tehsildar for Revenue Disputes: उत्तर प्रदेश में राजस्व संबंधी शिकायतों के समाधान को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब भूमि विवादों, दाखिल-खारिज, सीमांकन, पैमाइश, कब्जा आदि जैसे मामलों में सिर्फ लेखपाल की रिपोर्ट पर निर्णय नहीं होगा। शिकायतकर्ता की सुनवाई के साथ न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में अब जांच की जिम्मेदारी नायब तहसीलदार को सौंपी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन कार्यक्रमों में आ रही शिकायतों और फील्ड रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन में लंबे समय से यह देखने को मिल रहा था कि राजस्व संबंधी मामलों में लेखपाल स्तर की जांच में पारदर्शिता की कमी है। जनता की शिकायतें लगातार यह संकेत दे रही थीं कि कई बार लेखपाल की रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण, अधूरी या तथ्यहीन होती है, जिससे पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस गंभीर समस्या पर ध्यान देते हुए जांच व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है।
अपर मुख्य सचिव (राजस्व) एस.पी. गोयल द्वारा सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब कोई भी राजस्व मामला, चाहे वह व्यक्तिगत भूमि विवाद हो या सार्वजनिक संपत्ति से संबंधित समस्या, लेखपाल की जांच रिपोर्ट के आधार पर निपटाया नहीं जाएगा।
नए निर्देशों के अनुसार, अब कोई भी राजस्व विवाद, शिकायत या अतिक्रमण की रिपोर्ट नायब तहसीलदार तैयार करेंगे। वे न केवल तथ्यों की पड़ताल करेंगे, बल्कि शिकायतकर्ता और अन्य संबंधित पक्षों को सुनने के बाद ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इससे दोहराव, पक्षपात और रूटीन जांच जैसी समस्याओं में कमी आएगी और जनता को निष्पक्ष न्याय मिलेगा।
राजस्व विवादों का अंतिम निर्णय अब उपजिलाधिकारी स्तर पर लिया जाएगा। एसडीएम को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे नायब तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को गंभीरता से अध्ययन कर निष्पक्ष और संतुलित निर्णय लें।
यह निर्णय न केवल प्रशासनिक सुधार है, बल्कि न्याय व्यवस्था में आमजन की भागीदारी और विश्वास बहाली की दिशा में भी बड़ा कदम है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अक्सर राजस्व विवाद जमीन पर कब्जे, पैमाइश या बंटवारे को लेकर होते हैं, वहां लेखपाल की रिपोर्ट को ही अंतिम मान लिया जाता था। अब यह व्यवस्था बदलने से पीड़ित पक्ष को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।
जनता दर्शन में शिकायतों की भरमार: मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भूमि विवादों से संबंधित शिकायतें आती हैं। पक्षपात के आरोप: कई बार लेखपालों पर आरोप लगता रहा है कि वे प्रभावशाली पक्ष के पक्ष में रिपोर्ट बना देते हैं। फील्ड में शिकायतकर्ता को मौका न देना: शिकायतों की जांच में शिकायतकर्ता से संवाद किए बिना ही निर्णय लिए जा रहे थे। यह फैसला न केवल आम जनता को राहत देने वाला है, बल्कि प्रशासनिक हलकों में भी इसका स्वागत किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इससे निचले स्तर पर भ्रष्टाचार, फर्जी रिपोर्टिंग और पारदर्शिता की कमी पर प्रभावी नियंत्रण होगा।
बलिया के एक एसडीएम ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “अब लेखपालों को जवाबदेह बनना ही पड़ेगा। जांच अधिकारी बदलने से रिपोर्ट की गुणवत्ता बेहतर होगी। जो भी शिकायतकर्ता होगा, उसे सुनना अब अनिवार्य हो गया है।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार का जोर “डिजिटल राजस्व न्याय प्रणाली” पर भी है। यह नई व्यवस्था डिजिटल रिकॉर्डिंग और ऑडिट ट्रेल को बल देगी, जिससे आने वाले समय में शिकायतों की ट्रैकिंग और निष्पादन भी पारदर्शी बनेगा।
Published on:
05 Jul 2025 03:33 pm
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