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उत्तर रेलवे ने किया गजब! 41 हजार रुपए खर्च करके पकड़ा 1 चूहा, 3 साल में खर्च हुए इतने लाख

उत्तर भारतीय रेल ने 3 साल में चूहे को पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं। यह खुलासा एक आरटीआई से हुआ है।

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लखनऊ

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Anand Shukla

Sep 16, 2023

North Indian Railways has spent Rs 69 lakh in 3 years to catch rats

RTI से हुआ खुलासा, उत्तर रेलवे ने 3 साल में चूहा पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं।

भारतीय रेलवे एक गजब का कारनामा सामने आया है। जिसे सुनकर आप ना हंस पाएंगे और ना ही रोक पाएंगे। उत्तर रेलवे द्वारा खर्च की गई इस धनराशि को सुनकर आप कहेंगे 'वाह हमारे देश में' कितने तेजस्वी लोग हैं। दरअसल, चूहों के आतंक से हर कोई परेशान होता है। चाहे घर हो या फिर उत्तर रेलवे।

ऐसे में उत्तर रेलवे ने इन चूहों से छुटकारा पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है जिसमें लाखों खर्च किए हैं। ये खुलासा एक आरटीआई के तहत हुआ है। हालांकि ये केवल एक आरटीआई से जवाब मिला है। तीन में से एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि चूहों को पकड़ने पर रेलवे ने 69 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं। हालांकि, यह राशि केवल 3 साल में खर्च की गई है।

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2020 से 2022 के बीच 69.5 लाख रुपये खर्च हुए
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन ने 168 चूहों को पकड़ने के लिए वर्ष 2020 से 2022 के बीच 69.5 लाख रुपये खर्च किए। अगर गणित के हिसाब से देखें तो प्रति वर्ष चूहा पकड़ने पर 23.2 लाख रुपये की राशि खर्च हुई। अब अगर प्रति चूहे का हिसाब किया जाए तो प्रति चूहा पकड़ने पर 41 हजर रुपये से थोड़ा अधिक खर्च किया गया। ये आरटीआई चंद्रशेखर गौर ने लगाई थी।

रेलवे के तीन डिवीजन में लगाई गई थी आरटीआई
चंद्रशेखर गौर ने तीन डिवीजन में आरटीआई लगाई। जिसमें से केवल उत्तर रेलवे की लखनऊ डिवीजन से उन्हें जवाब मिला। इसके अलावा फिरोजपुर और मुरादाबाद डिवीजन की ओर से आरटीआई का कोई जवाब नहीं मिला है। आरटीआई के जरिए चूहों को पकड़ने में हुए खर्च की सूचना मांगी गई थी।

इसके अलावा लखनऊ डिवीजन से चूहों से रेलवे को हुए नुकसान के बारे में पूछा गया। हालांकि इस पर कोई जवाब नहीं मिला है। आरटीआई के जरिए किस डिवीजन में कितने चूहे पकड़े गए इसकी जानकारी मिली है। हालांकि, अधिकारियों ने इन आंकड़ों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक साल में जहां रेलवे 23.2 लाख रुपये चूहों को पकड़ने में खर्च कर रहा है। वहीं ,ये आंकड़े आम जनता को हैरानी में डाल रहे हैं।

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