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जानें- क्या हैं पछुआ हवायें, जिनके चलने पर बढ़ जाती है ठिठुरन भरी ठंड

locationलखनऊPublished: Dec 17, 2020 03:39:21 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

अलग-अलग गोलार्द्धों में प्रवाहित होने वाली हवाओं को गरजती चालीसा-प्रचंड पचासा और चीखती साठा भी कहा जाता है

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जब-जब पछुआ हवायें चलेंगी ठिठुरन भरी सर्दी में इजाफा होगा और तापमान में गिरावट आएगी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सुलतानपुर. मौसम ने अपना मिजाज बदलना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गलन भरी ठंड पड़नी शुरू हो गई है। इसका बड़ा कारण पछुआ हवाओं का चलना है। जब-जब पछुआ हवायें चलेंगी ठिठुरन भरी सर्दी में इजाफा होगा और तापमान में गिरावट आएगी। आइये जानते हैं कि क्या हैं पछुआ हवायें जिनके चलने से मौसम हो जाता है सर्द।
पछुआ पवन पृथ्वी के दोनों गोलार्द्धों में प्रवाहित होने वाली स्थायी पवनें हैं। पश्चिमी दिशा से पूरब की ओर चलने के कारण इन्हें पछुआ पवन या या वेस्टर्लीज कहा जाता है। अक्सर महसूस किया जाता है कि जो हवायें पूरब से चलकर पश्चिम दिशा की ओर जाती हैं, उन हवाओं में ठंड नहीं रहती है या यूं कहें कि पूर्वी हवाओं में ठंड का एहसास कम होता है। लेकिन पश्चिम की दिशा की ओर से आने वाली पछुआ हवाओं के चलने से लोगों को हर मौसम में ठंड का एहसास कुछ ज्यादा होता है।
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हिमालय से टकराकर चलती हैं हवायें
मौसम के जानकार डॉ. जेपी त्रिपाठी कहते हैं कि पछुआ हवायें पहाड़ों से होकर आती हैं जो हिमालय पर्वत से टकराकर चलती हैं। ऐसे में पहाड़ों पर मौजूद पानी और बर्फ से टकराकर चलने के कारण पश्चिमी हवायें लोगों को ठंड का आभास कराती हैं, जबकि पूरब की ओर से चलने वाली हवायें किसी ऐसे पहाड़ से टकराकर नहीं चलती, जिस पर्वत पर बर्फ पड़ती हो। इसलिए पूरब से चलने वाली हवाओं में ठंडक नहीं होती हैं।
यहां कहलाती हैं गरजती चालीसा-प्रचंड पचासा और चीखती साठा
पछुआ पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में पछुआ पवनों की प्रचंडता के कारण ही 40 से 50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच इन्हें ‘गरजती चालीसा’ तथा 50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के समीपवर्ती इलाकों में ‘प्रचंड पचासा’ और 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के पास ‘चीखती साठा’ नाम से पुकारा जाता है। ध्रुवों की ओर इन पवनों की सीमा काफी अस्थिर होती है, जो मौसम एवं अन्य कारणों के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।
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