
महिलाओं के मुद्दों पर राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉक्टर गुलाब कोठारी ने की परिचर्चा, PC- Patrika
Patrika Keynote 2025 Lucknow : पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने परिवार-समाज की समस्याओं का समाधान प्रकृति के नियमों के दायरे में ही रह कर निकालने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा, ''प्रकृति ने जो नियम बना रखें हैं, उन नियमों के अनुसार ही रास्ता निकालना पड़ेगा। उन नियमों को चुनौती देकर रास्ता नहीं निकल सकता है।''
मां की भूमिका पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मां का काम देना होता है। अगर आपने कुछ मांगा तो सामने वाला भी मांगेगा। उन्होंने कहा, ''पूरे विश्व को देख लें, जहां भी महिलाएं मांगने निकलीं, अमेरिका को देखें, यूरोप को देखें उनकी स्थिति आज क्या है? मांगने वाले दृष्टिकोण से आज देखा जाए तो उनके जीवन की स्थिति अंत में क्या है? उनके (महिलाओं) और पुरुषों के बीच में खाई खड़ी हो गई। दो दुनिया अलग-अलग हो गई। हमारा जन्म इसलिए तो नहीं हुआ है कि हम अलग-अलग दुनिया में जीएंगे। एक-दूसरे की स्पर्धा में जीएंगे। स्पर्धा संभव नहीं है, जिनके साथ मिलकर जीना है, उनके साथ स्पर्धा की ही नहीं जा सकती है। अगर स्पर्धा की जाती है तो घर के दो हिस्से हो जाएंगे।''
बच्चों को मिट्टी से जोड़े रखने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा, ''अंग्रेजी की पढ़ाई में हिंदुस्तान की चर्चा नहीं है। ऐसे बच्चों में हिंदुस्तान की परंपरा कैसे आएगी? उन्हें हिंदुस्तान की परंपरा का पता कैसे लगेगा? आज हिंदुस्तान में जितने तलाक होने लगे और जितने लिव-इन रिश्ते बनने लगे, हमको तो इस बारे में पता तक नहीं था कि ऐसी कोई चीज भी होती है। ये सारी चीजें कहां से आईं हैं? पहले इस बारे में सोचें। स्वतंत्रता एक चीज है और स्वच्छंदता दूसरी चीज है। स्वतंत्रता बिना मर्यादा के, बिना नियम-कायदों के कभी लागू नहीं हो सकती।''
जब उनसे पूछा गया कि क्या मर्यादा में महिलाओं को ही रहना है तो उन्होंने जवाब में कहा, ''बेटे को तैयार किसने किया? मां ही बेटे को तैयार करती है। अगर उसमें उसकी मर्यादा नहीं आती तो इसमें किसकी गलती मानी जाएगी? मां की या बेटे की? अगर एक मां का तैयार किया हुआ बच्चा समाज के बीच में मर्यादा तोड़ रहा है तो इसमें किसकी गलती है? मां ने बच्चे को जन्म तो दिया, जब उसने चलना सीखा तो उसकी अंगुली नहीं पकड़ी। बच्चा 15 से 20 की उम्र में पहुंच जाए और तब अगर उसकी अंगुली पकड़ना भी चाहें तो ऐसा संभव नहीं है।''
बता दें कि राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचंद्र कुलिश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देश भर में ‘स्त्री : देह से आगे’ विषय पर संवाद किया जा रहा है। इसी कड़ी में लखनऊ में उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मण्डल के तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ।
Published on:
19 Sept 2025 08:37 pm
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