
लखनऊ. Pearl farming- अगर आप भी कम पैसों में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो हमारे पास आपके लिए एक बेहतरीन आइडिया है। इस ओर लोगों का फोकस भी तेजी से बढ़ रहा है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं मोती की खेती (Pearl farming) की, जिसने कई लोगों को लखपति बना दिया है। इसमें एक बार में 30 हजार रुपए लगाकर आप 03 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस पर सरकार की ओर से 50 फीसदी सब्सिडी भी दी जाती है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर गांव के किसान बिजेंद्र ने मोती की खेती शुरू की है जिससे वह 8 लाख रुपए सालाना कमाते हैं। तो आइए जानते हैं कि Pearl Farming कैसे शुरू की जाये-
मोती की खेती के लिए किन चीजों की जरूरत होगी?
मोती की खेती करने से पहले इसकी ट्रेनिंग लेना बेहद जरूरी है। कई राज्यों में सीप की खेती को सिखाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खुले हैं जहां से सीखकर आसानी से सीप की खेती की जा सकती है। मोती की खेती के लिए जरूरी है कि आपके पास एक तालाब हो और अच्छी क्वालिटी के सीप हों। तालाब खुदवाने के लिए सरकार 50 फीसदी की सब्सिडी देती है, कुछ औपचारिकताएं पूरी कर आप उसका लाभ ले सकते हैं। सीप भारत के कई राज्यों में मिलते हैं लेकिन, साउथ इंडिया व बिहार के दरभंगा के सीप की क्वालिटी अच्छी मानी जाती है।
ऐसे की जाती है मोतियों की खेती
सबसे पहले एक जाल में सीपियों को बांधकर 10 से 15 दिनों के लिए तालाब में डाल दिया जाता है, ताकि वे मनमुताबिक अपना वातावरण तैयार कर सकें। इसके बाद सीपियों को बाहर निकालकर उनकी सर्जरी की जाती है। सर्जरी के जरिए सीप के अंदर एक सांचा यानी पार्टिकल डाला जाता है। कोटिंग के बाद सीप इसी सांचे पर लेयर बनाते हैं जो आगे चलकर मोती बनता है।
30 हजार लगाकर कमाएं तीन लाख रुपए
एक सीप से दो मोती निकलते हैं। अच्छी क्वालिटी का एक मोती 200 रुपए से ज्यादा कीमत का बिकता है, जबकि साधारण मोती कम से कम 120 रुपए में बिकता है। 25 से 35 रुपए के खर्च में एक सीप तैयार हो जाता है। ऐसे में अगर आप एक एकड़ तालाब में 25 हजार सीपियां डालें तो तो इस पर करीब 08 लाख रुपए का खर्च आएगा। बिजेंद्र ने बताया कि अगर तैयार होने क्रम में 50 फीसदी सीप बर्बाद हो जाते हैं तो भी आसानी से 30 लाख रुपये की सालाना कमाई की जा सकती है। सीप की खेती की शुरुआत 30 हजार रुपए से भी कर सकते हैं जो आपको सालाना 03 लाख रुपए तक की कमाई करा सकती है। हालांकि, इसमें तालाब खुदवाने का खर्च शामिल नहीं है, क्योंकि वह सिर्फ एक बार होता है और उसमें भी सरकार से 50 फीसदी की सब्सिडी मिल जाती है।
Published on:
05 Sept 2021 04:37 pm
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