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लखनऊ

राष्ट्रपति कोविंद जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्व विद्यालय चित्रकूट के दीक्षांत समारोह में हुए शामिल

सूर्य की तरह बनने के लिए सूर्य की तरह निरन्तर चलते रहना चाहिए- Ram Naik

लखनऊJan 08, 2018 / 08:42 pm

Anil Ankur

President Ramnath Kovind Joined function of chitrakut University

President Ramnath Kovind Joined function of chitrakut University

लखनऊ. जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्व विद्यालय एक अनूठा विद्या मंदिर है, जो दिव्यांग जनों की सर्वांगीण प्रतिभा को विकसित करने के लिए सराहनीय कार्य कर रहा है। इसके लिए विश्व विद्यालय के कुलाधिपति व विश्वविद्यालय परिवार को मैं बधाई देता हूॅं।
महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यह विचार जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्व विद्यालय के सप्तम् दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि चित्रकूट मानव कल्याण व समावेशी शिक्षा के लिए न केवल प्रदेश अपितु देश में जाना जाता है । उन्होंने कहा कि ईश्वर दिव्यांग जनों को एक विशेष प्रतिभा प्रदान करता है और उस प्रतिभा के विकास से दिव्यांग जन आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने दिव्यांग जनों का उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीमती अरूणिमा सिन्हा, इला सिंघल, चेन्नई की टिफनी और आन्ध्र प्रदेश के श्रीकांत बोलवा ने अपने-अपने क्षेत्रों में अपनी अद्वितीय प्रतिभा का परिचय दिया है। अरूणिमा सिन्हा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की है तथा इला सिंघल ने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा आई.ए.एस. में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। चेन्नई की टिफनी विशेष शिक्षा पद्धति के लिए कार्य कर रही हैं तथा श्रीकांत बोलवा ने अपनी मेहनत व परिश्रम से फोब्र्स पत्रिका में स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि जिनके हौसले बुलन्द होते हैं उनके आगे विषम परिस्थितियां भी घुटने टेक देती हैं।
महामहिम राष्ट्रपति ने प्राचीन भारत में महाराजा जनक की विद्धत सभा का उदाहरण देते हुए कहा कि जब विद्धत सभा में अष्टावक्र पहुॅचे तो सभी उपस्थित विद्वानों ने उनका उपहास किया था। अष्टावक्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि आपकी यह सभा विद्वानों की सभा नहीं अपितु मूर्खों की सभा है। उन्होंने अपने ओजस्वी भाषण से अपनी विद्धता का लोहा मनवाया था। राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राम भद्राचार्य विशिष्ट प्रतिभा के धनी हैं और उन्होंने दिव्यांग जनों के कल्याण के लिए इतनी बड़ी संस्था का निर्माण कराया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को अपने उद्यम स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे वह स्वरोजगार प्राप्त करने के साथ-साथ अन्य दिव्यांग जनों को भी रोजगार ? दे सकें। उन्होंने पदक प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
राज्यपाल उत्तर प्रदेश राम नाईक ने दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह छात्रों के जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन होता है और उपाधि प्राप्त करने के बाद उनको जीवन का संघर्ष प्रारम्भ करना होता है, जिसमें कठोर परिश्रम व प्रमाणिकता से ही सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि जो असफलता प्राप्त होने पर भी हिम्मत नहीं हारता है उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। श्री राम नाईक ने कहा कि यह एक अद्भुत विश्व विद्यालय है जिसमें दिव्यांग जनों के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूर्य की तरह बनने के लिए सूर्य की तरह निरन्तर चलते रहना चाहिए।
राज्यपाल मध्य प्रदेश ओम प्रकाश कोहली ने कहा कि महान चिन्तक नाना जी देशमुख तथा जगद्गुरू श्री रामभद्राचार्य ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय दिव्यांग जनों के जीवन में परिवर्तन लाने तथा उन्हें स्वावलम्बी बनाने के लिए प्रभावी प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि आप लोग दिव्यांग जनों को सम्मान दें और उन्हें बोझ न समझें।
इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा राज्यपाल राम नाईक ने 19 छात्र-छात्राओं को मेडल प्रदान कर सम्मानित किया। इसके पूर्व राष्ट्रपति ने दीप प्रज्जवलित कर तथा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उन्होंने विश्व विद्यालय के गेस्ट हाउस तथा कुलपति आवास का लोकार्पण भी किया। कुलपति योगेश चन्द्र दूबे ने 19 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान कीं।
दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ तथा राजेन्द्र दास को डीलिट् की मानद उपाधियां प्रदान की गईं। मुख्यमंत्री जी की डीलिट् की उपाधि परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वतंत्र देव सिंह ने प्राप्त की।

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