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यूपी में 50 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर आई बड़ी मुसीबत, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

यूपी में 50 हजार शिक्षकों की नौकरी पर योगी सरकार का खतरा मंडरा रहा है।

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Third grade teachers

Mistake in 3rd Grade Teacher Transfer List in Rajasthan

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 2012 से 2018 के बीच लगभग 50 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी। अब उन 50 हजार शिक्षकों की नौकरी पर योगी सरकार का खतरा मंडरा रहा है। इस भर्ती में जिन शिक्षकों की ट्रेनिंग, बीएड, बीटीसी का परिणाम उनके टीईटी के परिणाम के बाद घोषित हुआ है। उन शिक्षकों की नौकरी के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है तथा उनका चयन अमान्य कर निरस्त किया जा सकता है।

शिक्षक भर्ती को लेकर एक सवाल आया सामने

अब इन 50 हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर एक सबाल खड़ा हो गया है। जिसमें हाईकोर्ट द्वारा कहा गया है कि जिन शिक्षकों की ट्रेनिंग (बीएड, बीटीसी आदि) का परिणाम उनके टीईटी के परिणाम के बाद आया है। ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति अमान्य कर उनका चयन निरस्त कर दिया जाए। फिलहाल बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया को लेकर योगी सरकार ने अपना रुख अब तक स्पष्ट तौर पर नहीं किया है। अगर योगी सरकार ऐसा करती है तो शिक्षक के पद पर ड्यूटी के दौरान जो सैलरी दी गई है। उसका चयन कर निरस्त करने के बाद लोगों से भी की जा सकती है।

शिक्षक हो रहे प्रभावित

बेसिक शिक्षा परिषद के इस आदेश के कारण 2012 से 2018 के बीच अध्यापक भर्ती में चयनित हुए शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। जब 2012 से 2018 के बीच 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती हुई थी तो उसमें क्रमश: 9770, 10800, 10000, 15000, 16448, 12460 सहायक अध्यापक शामिल हैं और इसके साथ ही उर्दू भर्ती के अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती हुई थी।

अनुमान के मुताबिक

ऐसा अनुमान लगया जा रहा है कि इसकी जांच की जाए तो 50,000 से अधिक ऐसे शिक्षक मिलेंगे जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी परीक्षा के रिजल्ट आने के बाद घोषित हुआ है। इसके साथ ही इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक की भर्ती पर भी पड़ सकता है।

शिक्षकों की सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

जो शिक्षक 2012 से 2018 के बीच अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए है। वे शिक्षक अब हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रभावित होकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं। नियुक्त हुए शिक्षकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) के लिए 4 अक्तूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया था कि जिनके अभ्यर्थियों के प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें TET का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा।