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UP Prison Department: जेल लिपिकों के प्रमोशन में बड़ी विसंगति, मुख्यालय ने दबाई फाइल, शासन की रिपोर्ट भी अटकी

Prison Department : उत्तर प्रदेश कारागार विभाग में लिपिकों के प्रमोशन में कथित विसंगति को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शासन ने रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन जेल मुख्यालय के बाबुओं ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई। एक ही विज्ञापन से चयनित कर्मचारियों में भेदभाव के आरोपों से विभागीय नाराजगी बढ़ गई है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 08, 2025

लिपिकों के प्रमोशन में विसंगति पर नाराजगी बढ़ी (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

लिपिकों के प्रमोशन में विसंगति पर नाराजगी बढ़ी (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

UP Prison Department Jail Staff Issues: उत्तर प्रदेश कारागार विभाग में लिपिकीय संवर्ग के प्रमोशन में हुई कथित विसंगति एक बार फिर सुर्खियों में है। विभाग के कर्मचारियों का आरोप है कि जेल मुख्यालय के बाबुओं ने इस मामले की फाइल को दोबारा दबा दिया है। शासन ने प्रकाशित रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए इस पूरे प्रकरण पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बावजूद मुख्यालय ने फाइल को आगे नहीं बढ़ाया। इससे न केवल विभागीय कार्रवाई अधर में लटक गई है बल्कि बड़ी संख्या में लिपिकीय कर्मचारियों में गहरी नाराजगी फैल गई है।

कारागार विभाग में कई वर्षों से तैनात कर्मचारियों का कहना है कि प्रमोशन प्रक्रिया में बेहद असमानता बरती गई है। एक ही विज्ञापन के तहत चयनित और एक ही पद पर नियुक्त हुए कर्मचारियों के साथ दो तरह का व्यवहार किया गया। जेल मुख्यालय में तैनात कनिष्ठ लिपिकों को तेजी से प्रमोशन देकर प्रशासनिक अधिकारी और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जैसे पदों पर पहुंचा दिया गया, जबकि जेलों में तैनात कनिष्ठ लिपिक वर्षों तक एक ही पद पर जमे रहे और अंतत: अधिकतर कर्मचारी सिर्फ प्रधान लिपिक के पद से ही रिटायर हो गए।

लिपिकों का आरोप है कि मुख्यालय में पदोन्नति पाने वाले कर्मियों को वर्षों तक मुख्यालय में ही तैनाती दी जाती रही, जबकि जिला जेलों में तैनात कर्मचारियों का लगातार तबादला होता रहा। कई कर्मचारियों का कहना है कि मुख्यालय की सुविधा पाने वालों को न केवल तेज प्रमोशन मिला बल्कि उनकी पोस्टिंग भी कभी कठिन जिलों में नहीं हुई।

शासन ने मांगी थी रिपोर्ट, लेकिन फाइल दबा दी गई

खबर प्रकाशित होने के बाद शासन ने जेल मुख्यालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। शासन ने यह भी निर्देश दिया था कि जेल मुख्यालय और प्रदेश की सभी जेलों में तैनात लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारियों की एकीकृत ज्येष्ठता सूची तैयार की जाए, ताकि प्रमोशन में पारदर्शिता लाई जा सके। हालांकि, मुख्यालय के स्तर पर रिपोर्ट तैयार करने या आगे भेजने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।

सूत्रों के अनुसार, शासन ने रिपोर्ट भेजने के लिए जो समय सीमा निर्धारित की थी, वह बीत चुकी है। इसके बाद भी मुख्यालय के बाबू फाइल को आगे बढ़ाने के बजाय ठंडे बस्ते में डालकर बैठ गए हैं। फाइल न बढ़ने से विभागीय जांच की प्रक्रिया भी रुक गई है। सूत्र बताते हैं कि प्रमोशन पाने वाले कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम फाइल में प्रमुख रूप से दर्ज हैं, जिनके विवादित प्रमोशन पर सवाल उठ रहे हैं। इसी वजह से फाइल आगे न बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

विभाग में असंतोष गहरा, कर्मचारी बोले सौतेला व्यवहार

प्रमोशन में विसंगति को लेकर कर्मचारी लगातार आवाज उठा रहे हैं। कई कर्मचारियों का कहना है कि मुख्यालय में कार्यरत कनिष्ठ लिपिकों को 10 से 15 वर्षों में दो से तीन प्रमोशन मिले, जबकि जेलों में तैनात कनिष्ठ लिपिक सिर्फ एक प्रमोशन पाकर ही रुक गए। आवागमन, जिम्मेदारियों और कठिन कार्यस्थलों के बावजूद उन्हें उचित तरक्की नहीं दी गई।

एक वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया कि यही कर्मचारी जब अपने प्रमोशन को लेकर विभाग में आवेदन देते, तो फाइल इधर-उधर घुमाई जाती और अंत में कह दिया जाता कि पद रिक्त नहीं हैं या प्रक्रिया बाद में पूरी की जाएगी। वहीं दूसरी ओर मुख्यालय में तैनात कर्मचारियों की फाइलें तेजी से प्रोसेस होती रहीं। कर्मचारियों का कहना है कि यह दोहरी नीति न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित करती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि मुख्यालय में कुछ अधिकारियों और बाबुओं की मिलीभगत के कारण यह असमानता वर्षों से पनपी है।

जेल मुख्यालय का पक्ष: जांच कर भेजी जाएगी रिपोर्ट

कारागार मुख्यालय के अपर महानिरीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें प्रमोशन विसंगति से संबंधित रिपोर्ट के लंबित होने की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो वे इस मामले से जुड़े अधिकारियों से बात करेंगे और जल्द से जल्द रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। विभागीय सूत्रों का मानना है कि इस मामले में अब शासन कड़ी कार्रवाई कर सकता है, क्योंकि लिपिकीय संवर्ग में असमानता और फाइल दबाए जाने की शिकायतें वर्षों से चली आ रही हैं।

कर्मचारियों की मांग

कर्मचारियों ने मांग की है कि सभी जेलों और जेल मुख्यालय में तैनात लिपिकीय कर्मचारियों की एकीकृत ज्येष्ठता सूची बनाई जाए, ताकि सभी को समान अवसर मिले। साथ ही पिछले वर्षों में दिए गए प्रमोशन की समीक्षा करके उसे नियमों के अनुरूप तय किया जाए। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि यदि इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से शासन को ज्ञापन देने के साथ आंदोलन का रास्ता भी चुन सकते हैं।