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Railway News: समर स्पेशल बनी मुसाफिरों की मुसीबत: 34 घंटे लेट ट्रेनें, गर्मी की छुट्टियों में राहत की जगह परेशान

Railway Late Train:  गर्मी की छुट्टियों में मुसाफिरों को राहत देने के लिए चलाई गई समर स्पेशल ट्रेनें अब मुसीबत बन गई हैं। कई ट्रेनें 10 से 34 घंटे तक की देरी से चल रही हैं। ट्रैक कंजेशन, प्लेटफार्म की कमी और रखरखाव की समस्याओं ने यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

May 26, 2025

फोटो सोर्स : Patrika: गर्मियों की राहत बनी मुसीबत: लेट होती समर स्पेशल ट्रेनों से बेहाल मुसाफिर

फोटो सोर्स : Patrika: गर्मियों की राहत बनी मुसीबत: लेट होती समर स्पेशल ट्रेनों से बेहाल मुसाफिर

Railway Late News: उत्तर भारत की चिलचिलाती गर्मी और छुट्टियों का समय, ऐसे में ट्रेन यात्राओं का दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है। गर्मी की छुट्टियों के चलते रेलवे द्वारा चलाई जा रही समर स्पेशल ट्रेनें, जिनका उद्देश्य यात्रियों को अतिरिक्त सुविधा देना था, अब यात्रियों के लिए सिरदर्द बनती जा रही हैं। ये ट्रेनें न केवल घंटों नहीं, बल्कि दिनों तक लेट हो रही हैं, जिससे यात्रियों को असहनीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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 34 घंटे की देरी: जब ट्रेन ही मंज़िल बन जाए

सबसे बड़ा उदाहरण है रक्सौल-उधना समर स्पेशल (05559) ट्रेन का, जिसे शनिवार सुबह 5:30 बजे रक्सौल से रवाना होना था। लेकिन यह ट्रेन रविवार रात 8:00 बजे रवाना हुई, यानी करीब 38.5 घंटे की देरी से। लखनऊ में इसे शनिवार दोपहर 2:50 बजे पहुंचना था, लेकिन यात्रियों को अब बताया जा रहा है कि यह ट्रेन 34 घंटे की देरी से आएगी। यात्रियों के मन में एक ही सवाल: “क्या हम अपनी मंज़िल तक पहुंच भी पाएंगे?”

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अन्य समर स्पेशल ट्रेनें भी लेट

  • रक्सौल-उधना ही नहीं, अन्य समर स्पेशल ट्रेनों की हालत भी खराब है। रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि:
  • 04011 दरभंगा-दिल्ली समर स्पेशल – 13 घंटे देरी
  • 05284 आनंद विहार-मुजफ्फरपुर – 11 घंटे देरी
  • 04602 फिरोजपुर-पटना – 10 घंटे देरी
  • 03312 चंडीगढ़-धनबाद – 7 घंटे देरी
  • 04520 बठिंडा-वाराणसी – 7 घंटे देरी
  • 04229 मुजफ्फरपुर-आनंद विहार – 5 घंटे देरी
  • 04205 चंडीगढ़-वाराणसी – 3 घंटे देरी
  • ये देरी यात्रियों की योजनाओं को बिगाड़ रही हैं, खासकर उन लोगों की जो सीमित अवकाश या कनेक्टिंग ट्रांसपोर्ट पर निर्भर हैं।

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नियमित ट्रेनें भी प्रभावित

  • समर स्पेशल ट्रेनों के अलावा नियमित ट्रेनें भी इस कंजेशन का शिकार हो रही हैं:
  • राप्तीगंगा एक्सप्रेस (15002) – 13 घंटे देरी
  • ग्वालियर-बरौनी मेल – 4 घंटे देरी
  • नई दिल्ली-न्यू जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस – 4 घंटे देरी
  • कुल मिलाकर, हजारों मुसाफिर हर दिन भटकते और परेशान होते नजर आ रहे हैं।

ट्रैक कंजेशन और ऑपरेशन में गड़बड़ी मुख्य कारण

  • रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, समर स्पेशल ट्रेनों की देरी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
  • ओवरलोडेड ट्रैक: पहले से ही ट्रैक पर बहुत ज्यादा ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
  • प्लेटफार्म की कमी: स्टेशनों पर प्लेटफार्म उपलब्ध नहीं होने से ट्रेनों को रोका जाता है।
  • मेटिनेंस डिले: अंतिम स्टेशन पर देर से पहुंचने के कारण मरम्मत और सफाई में और देरी हो जाती है।
  • रेलवे क्रू की लिमिटेशन: सीमित संसाधनों के कारण समय पर ऑपरेशन कठिन हो जाता है।
  • समय पर जानकारी का अभाव: यात्रियों को लेट की स्पष्ट जानकारी समय पर नहीं दी जाती।

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यात्रियों की व्यथा

  • कई यात्रियों ने अपनी नाराज़गी सोशल मीडिया और रेलवे हेल्पलाइन पर जाहिर की है:
  • “34 घंटे की देरी के बाद न भोजन की व्यवस्था, न सही जानकारी... क्या यही है रेलवे की समर सेवा?”
  • “टिकट कन्फर्म है लेकिन पहुंचेंगे कब – कोई बताने वाला नहीं।”
  • बुजुर्ग, महिलाएं, छोटे बच्चे – सभी को कठिन हालात में घंटों स्टेशनों और ट्रेनों में बिताने पड़ रहे हैं।

संपर्क रूट और स्टेशन सबसे अधिक प्रभावित

विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना, मुजफ्फरपुर, वाराणसी जैसे व्यस्त रूटों पर ये समस्या अधिक गहराई है। उत्तर भारत के अधिकतर बड़े शहरों को जोड़ने वाली ट्रेनों की हालत समान है।

  • रेलवे की योजना और समाधान की ज़रूरत
  • रेलवे को तत्काल कुछ जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है:
  • अतिरिक्त प्लेटफार्म और शेड्यूलिंग टीम
  • रियल टाइम सूचना तंत्र में सुधार
  • यात्रियों के लिए बेसिक सुविधाएं जैसे पीने का पानी, भोजन और सीट व्यवस्था
  • समर सीजन के लिए पहले से प्रभावी योजना बनाना
  • इसके अलावा, यात्रियों को भी चाहिए कि वे सफर की योजना बनाते समय ट्रेन लेट होने की संभावना को ध्यान में रखें।

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राहत का वादा, मुसीबत की सौगात

जहां समर स्पेशल ट्रेनों का उद्देश्य मुसाफिरों को राहत देना था, वहीं वर्तमान स्थिति उन्हें कष्ट और तनाव ही दे रही है। गर्मी में रेलवे यात्रा जितनी जरूरी है, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी होती जा रही है। यदि रेलवे ने त्वरित सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो यह "समर सीज़न" यात्रियों के लिए एक "समर संकट" बनकर रह जाएगा।