
35 साल से निभ रहा है भाईचारे का बंधन फोटो सोर्स : Patrika
Raksha Bandhan Hindu Muslim Unity: लखनऊ में इस बार भी रक्षाबंधन का पर्व केवल एक धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह दिलों को जोड़ने वाला, रिश्तों को मजबूत करने वाला और इंसानियत की मिसाल पेश करने वाला त्योहार बन गया। शहर के दिलकुशा गार्डन स्थित दरगाह हजरत कासिम शहीद बाबा पर एक अनोखी परंपरा इस बार भी निभाई गई, 35 वर्षों से लगातार दो हिंदू बहनें अपने मुस्लिम भाई की कलाई पर राखी बांध रही हैं। यह रिश्ता न खून का है, न जाति या धर्म का, बल्कि प्रेम, विश्वास और भाईचारे का है।
दरगाह के सज्जादानशीन जुबेर अहमद याद करते हैं कि यह सिलसिला 1990 में शुरू हुआ था। उनके परिवार में कोई सगी बहन नहीं थी, लेकिन बहन के रूप में अनीता जायसवाल और विमला उनके जीवन में आईं। दोनों का बचपन से ही दरगाह पर आना-जाना था। जुबेर के पिता बेटियों को बेहद प्यार करते थे, और अनीता व विमला भी उन्हें ‘पापा’ कहकर पुकारती थीं। पहली बार जब रक्षाबंधन आया, तो अनीता और विमला ने जुबेर की कलाई पर राखी बांधने की इच्छा जताई। जुबेर के पिता ने खुशी-खुशी इसकी सहमति दी, और उसी दिन से यह रिश्ता जन्म ले लिया।
हर साल की तरह इस बार भी रक्षाबंधन के दिन अनीता और विमला अपने ससुराल से बच्चों के साथ दरगाह पहुंचीं। उन्होंने पूरी श्रद्धा और रिवाज के साथ राखी की थाली सजाई। थाली में चावल, कुमकुम, दीपक और मिठाई रखी गई। जुबेर अहमद टोपी पहनकर ससम्मान बैठे। बहनों ने पहले उनके माथे पर तिलक लगाया, फिर कलाई पर राखी बांधी और मिठाई खिलाई। जुबेर ने भी उन्हें उपहार देकर अपनी खुशी व्यक्त की।
राखी बंधवाने के बाद जुबेर अहमद भावुक हो उठे। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि पिछले 35 साल से यह परंपरा निभ रही है। रक्षाबंधन भाई और बहन के लिए बहुत खास है, और इसे धर्म के चश्मे से नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आपसी विश्वास से देखा जाना चाहिए। यही असली भारत है, जहां दिलों में कोई भेद नहीं होता।”
जुबेर बताते हैं कि जब यह परंपरा शुरू हुई थी, तब अनीता और विमला अविवाहित थीं। अब दोनों विवाहित हैं, उनके बच्चे हैं, लेकिन रक्षाबंधन के दिन वे सबसे पहले दरगाह आती हैं और फिर अपने सगे भाइयों को राखी बांधती हैं। यह रिश्ता समय के साथ और मजबूत हुआ है।
इस अनोखे बंधन का संदेश साफ है, धर्म अलग हो सकते हैं, लेकिन दिल हमेशा एक हो सकते हैं। रक्षाबंधन का यह पर्व हिंदू-मुस्लिम एकता और सांस्कृतिक भाईचारे का प्रतीक है। अनीता कहती हैं,“हमारे लिए जुबेर सिर्फ भाई नहीं, परिवार का हिस्सा हैं। बचपन से ही पापा (जुबेर के पिता) हमें अपनी बेटियों की तरह मानते थे। आज भी हम उस स्नेह और अपनापन को महसूस करते हैं।” विमला भी कहती हैं,“राखी बांधना हमारे लिए केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भाई की सलामती की दुआ है। चाहे हम कहीं भी हों, रक्षाबंधन पर दरगाह जरूर आते हैं।”
यह अनोखी मिसाल आज के दौर में एक मजबूत संदेश देती है कि रिश्ते सिर्फ खून के नहीं, बल्कि दिल के भी होते हैं। अगर इंसानियत और आपसी विश्वास हो, तो कोई भी दीवार लंबे समय तक खड़ी नहीं रह सकती। लखनऊ की यह कहानी बताती है कि त्योहार केवल रस्में निभाने का नाम नहीं, बल्कि यह इंसान को इंसान से जोड़ने का माध्यम है। यह त्योहार सिखाता है कि हमारे रिश्ते धर्म, जाति, भाषा से ऊपर उठकर केवल प्रेम और विश्वास पर टिके होने चाहिए।
Published on:
09 Aug 2025 02:27 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
