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RSS and BJP: RSS अपने शताब्दी वर्ष में BJP सरकार को लेकर क्यों हैं चिंतित

आरएसएस अपनी स्थापना के सौ साल आगामी 2024 से 2025 तक मनाने जा रहा है। आगामी 2024 लोकसभा चुनावों में यही वजह है कि आरएसएस पूरी ताकत झोंकना चाहता है ताकि मोदी सरकार की फिर से वापसी हो सके जिससे उसके शताब्दी वर्ष के जलसे का रौनक फीका न पडऩे पाए।

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RSS-BJP

RSS and BJP: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना नागपुर में माहिते के बाड़े नामक स्थान पर पांच लोगों को अपने साथ लेकर डॉक्टर केशव बलिरामराव हेडगेवार ने 1925 में शुरू किया था। तमाम उतार-चढ़ाव और प्रतिबंधों के बाद संघ की साधना की पूरा प्रतिफल तब मिला जब केंद्र में उसके आनुषांगिक भारतीय जनता पार्टी के पूर्ण बहुमत की सरकार 2014 में बनी।

जिसके बाद संघ के लिए हिंदु राष्ट्र की परिकल्पना पर कार्य करना निष्कंटक हो गया बल्कि उसके चीर प्रतिक्षित एजेंडे भी पूरे होने आरंभ हो गए। राममंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति, तीन तलाक जैसे मुददे हर कर लिए गए और अब समान नागरिक संहिता को लागू करने की भी सुगबुगाहट भी होने लगी है।

तीसरी मोदी सरकार में आरएसएस की अग्रि परीक्षा
साल 2014 और 2019 के बाद साल 2024 में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार की वापसी भाजपा के लिए अबतक का सबसे बड़ा टास्क बना हुआ है। कारण कि आगामी आम सभा चुनावों के तुरंत बाद से विजयादशमी के बाद आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष भारत सहित पूरी दुनिया में मनाने जा रहा है, जहां भी वह विभिन्न अलग-अलग नामों से कार्य कर रहा है।

यह समारोह विजयादशमी साल 2025 तक होने वाला है जिसमें तरह-तरह के आयोजन किया जाएगा। आरएसएस इन आयोजनों के माध्यम से भी दुनिया भर के हिंदुओं को जगाने और जोडऩे का कार्य करेगा साथ ही अपने आजतक की उपलब्धियों का जश्र भी मनाएगा। जो बिना सरकारी सहयोग के अधूरा सा लगता है। इसके लिए केंद्र में मोदी सरकार का होना आएसएस के लिए चार चांद लगाने जैसा होगा।

शताब्दी वर्ष के आयोजन से अधिक लोकसभा के लिए जुटा संघ

अपने स्थापना के सौ साल पूरे होने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वृहद कार्ययोजना बनाने की बजाए अपना पूरा फोकस लोक सभा चुनावों पर करता दिखाई दे रहा है। जबकि कुछ वर्ष डॉक्टर हेडगेवार जन्मशताब्दी वर्ष को लेकर संघ ने खूब ढ़ीढोरा पीटा और करीब पांच वर्ष पूर्व तैयारियां शुरू कर दिया था। लेकिन इस बार मामला ठंढा दिखाई दे रहा है जबकि संघ के इतिहास के लिए आगामी वर्ष बेहद अहम होने वाला है।

संघ के प्रशिक्षण वर्ग इन दिनों देशभर में चल रहे हैं जो प्रत्येक साल ओटीसी के नाम पर लगाया जाता है। इस बार के प्रशिक्षण वर्ग में शताब्दी वर्ष की तैयारियों और कार्यक्रमों की जगह लोकसभा चुनावों को लेकर अपरोक्ष चर्चा अधिक होती दिखाई दे रही है।

गांव-गांव तक सरकार की उपलब्धियों को ले जाएंगा संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा की सरकार को अहम मानता है। उसे पता है कि गैर भाजपा सरकार में उसे प्रतिकूल हालात का सामना करना पड़ सकता है, जैसा कि पहले भी दो-तीन बार प्रतिबंध के नाम पर वह झेल चुका है।

पहली बार गांधी हत्या का इल्जाम, दूसरी बार तब जब देश में आपात काल लगा और तीसरी बार जब अयोध्या में ढांचा ध्वस्त किया गया था। अपने कटु अनुभवों को याद रखते हुए आरएसएस इस बार प्रत्यक्ष रुप से खुलकर भाजपा के लिए लोकसभा की तैयारियों में कदमताल करना शुरू कर दिया है। जिसमें गांव-गांव अपने स्वयंसेवककों के माध्यम से जाकर सरकार की उपलब्धियों को गिनाने का कार्यं किया जाएगा। इसके अलावा भाजपा के परंपरागत वोटरों को भी संघ एकजुट करने का अभियान छेडग़ा।