
Sanjay Dixit
लखनऊ. बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस से जुड़ते ही कांग्रेस के संगठन मंत्री संजय दीक्षित ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। भले ही वे कह रहे हों कि उनकी लड़ाई कांग्रेस से न होकर केवल नसीमुद्दीन से है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान अपने फैसले के खिलाफ उठ रहे विरोध के स्वर को कतई बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस ने संजय दीक्षित पर कार्यवाही करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
6 साल के लिए निष्कासित-
कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। संजय दीक्षित अनुशासन समिति को जवाब भेजने के बजाय मीडिया को जवाब की कॉपी भेज रहे थे। संजय दीक्षित के साथ विरोध करने वाले महामंत्री अवधेश सिंह पर फिलहाल फैसला नहीं लिया गया है। अनुशासन समिति को अवधेश सिंह के जवाब का फिलहाल इंतजार है।
यह था मामला-
दरअसल नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पार्टी ज्वाईन करने के फैसले से असंतुष्ट संजय दीक्षित ने मामले में विरोध दर्ज किया था। जिसके लिए पार्टी ने उनको अनुशासनहीनता का नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया था। जवाब में संजय दीक्षित ने कई दलीलें दी। उन्होंने उत्तर में मनरेगा के भ्रष्टाचार का हवाला दिया। साथ ही आरोप लगाया कि बसपा शासन काल में हुए घोटालों की सीबीआइ जांच हो रही है जिसकी आंच सिद्दीकी के नजदीकियों तक पहुंचाने की आशंका है। इसके साथ ही बसपा में रहते हुए सिद्दीकी पर भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के खिलाफ अभद्र नारेबाजी करने के आरोप है। 'बेटी पेश करो' जैसे नारे लगाने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज है। यह मुकदमा राजनीतिक नहीं बल्कि महिला सम्मान से जुड़ा है। इससे भाजपा को कांग्रेस को घेरने का मौक भी मिल सकता है।
यही नहीं संजय का आरोप है कि नसीमुद्दीन वहीं व्यक्ति है जिसने बसपा में रहते हुए सुप्रीमो मायावती के फोन भी टेप करके उनको सार्वजनिक किया था, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाए जाते रहे हैं।
Published on:
27 Feb 2018 05:12 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
