24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आरिफ से सारस को क्यों किया गया दूर, जानिए क्या है वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम?

Arif-Saras : भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इस कानून को लागू करने का मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था।

3 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Adarsh Shivam

Mar 31, 2023

Saras got away from Arif know what is Wildlife Protection Act

आरिफ और सारस

पिछले कुछ दिनों से यूपी में सारस पक्षी सुर्खियों में है। सारस को लेकर सियासी राजनीति भी हो रही है। अमेठी के आरिफ का सारस का वीडियो सोशल मीडिया जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में पक्षी और इंसान की दोस्ती लोगों को पसंद आ रही है। हालांकि, अब ये दोस्ती टूट गई है। वन विभाग की टीम ने सारस को समसपुर पक्षी विहार में शिफ्ट कर दिया है।

सियासी राजनीती करके लोगों को यह समझाया जा रहा है कि आरिफ से सारस को दूर किया गया है। लेकिन ऐसा नहीं है। हम आपको बताएंगे आखिर क्यों आरिफ से सारस को और अफरोज से सारस को वन विभाग की टीम ने दूर किया। आइए जानते हैं।

जंगली जानवरों पालने से पहले कई नियमों से गुजरना पड़ता है
हमारे देश में पशु और पक्षियों को पालने के भी बहुत सारे नियम-कानून हैं। कुछ जानवर खास तौर पर संरक्षित होते हैं। उन्हें पालने से पहले हमें कई नियमों से गुजरना पड़ता है। बता दें, सारस भी उन्ही संरक्षित पक्षियों में एक है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जंगली जानवरों को पालने या बांधने से पहले किन कानूनों के बारे में जानना चहिए।

यह भी पढ़ें : रामनवमी पर मुस्लिम महिलाओं ने की पूजा, बोलीं- धर्म बदलने से पूर्वज नहीं बदलते

भारतीय का संविधान देश के हर नागरिकों की तरह ही जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी देता है। अगर कोई व्यक्ति जानवरों को मारने या प्रताड़ित करने की कोशिश करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड के प्रावधान हैं। इसके अलावा हमारे देश में कई जानवर ऐसे भी हैं जिसे मारने या प्रताड़ना पहुंचाने पर आपको जेल भी हो सकती है।

दंड और जुर्माना को कर दिया गया है कठोर
भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इस कानून को लागू करने का मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। साल 2003 में इस कानून में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 2002 रख दिया गया। इसमें दंड और जुर्माना को कठोर कर दिया गया है।

क्यों तेजी में आया यह मामला
अमेठी के मंडखा गांव में रहने वाले आरिफ को उसकी ही खेत में लगभग एक साल पहले एक घायल सारस मिला था. जब आरीफ ने उस सारस को देखा तब उसके पैर में चोट लगी थी. घायल होने के कारण उसने उसे अपने घर ले जाकर सारस का इलाज किया।

यह भी पढ़ें : जानिए कौन होगा यूपी का नया DGP? लिस्ट में है इन IPS अधिकारियों के नाम

सोशल मीडिया पर पोस्ट किया करता था वीडियो
अब आरिफ काफी समय सारस के साथ गुजारता था उसे घर का बना खाना जैसे- दाल-चावल, सब्जी रोटी खिलाता था। इस तरह इन दोनों के बीच दोस्ती हुई और समय के साथ ये दोस्ती और भी गहरी होती गई। इस दौरान आरिफ अपने यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पर सारस के साथ अपनी कुछ वीडियो पोस्ट किया करते थे।

इसमें से कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ। जिसके बाद बीते 21 मार्च को वन विभाग ने आरिफ से सारस को अलग कर दिया और समसपुर पक्षी विहार ले गए। विन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि आरिफ उसकी अच्छे से देखभाल नहीं कर पाएंगे इसलिए सारस को अपने साथ ले जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें : निकाय चुनाव और उपचुवाव से पहले, वोटर लिस्ट में ऑनलाइन अपना नाम कैसे दर्ज कराएं?

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने का लगा आरोप
हालांकि आरिफ की मुश्किले अभी और बढ़ सकती है क्योंकि उत्तर प्रदेश प्रभागीय वन अधिकारी गौरीगंज ने आरिफ को नोटिस जारी किया है। जिसके अनुसार आरिफ को दो अप्रैल को प्रभागीय वन अधिकारी कार्यालय में पहुंचकर बयान दर्ज कराना होगा। भेजे गए नोटिस में उन पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 2,9, 29,51 और 52 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

क्या है वन्य जीव संरक्षण अधिनियम आइए जानते हैं
1 . वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में 66 धाराएं और 6 अनुसूचियां हैं। इन अनुसूचियों में पशु-पक्षियों की सभी प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया गया है।

2. अनुसूची-1 और 2 के तहत जंगली जानवरों और पक्षियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है और इस नियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा का प्रावधान दिया जाता है।

3. अनुसूची 3 और 4 भी जंगली जानवरों और पक्षियों को संरक्षण देते हैं लेकिन जिन जानवरों को रखा गया है उनके साथ किए गए अपराध पर सजा का प्रावधान काफी कम हैं।

4. अनुसूची 5 में उन जानवरों को रखा गया है जिसका शिकार किया जा सकता है। जबकि अनुसूची 6 में शामिल पौधों की खेती और रोपण पर रोक लगाई गई है।