
akhilesh yadav (Photo: ANI)
हरिओम द्विवेदी
लखनऊ. यूपी में शिवपाल यादव का समाजवादी सेक्युलर मोर्चा आकार लेने लगा है। जैसे-जैसे यह बढ़ रहा है, अखिलेश यादव की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। क्योंकि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के कोर वोटर कहे जाने वाले मुस्लिम-यादव वोटबैंक की सेंधमारी में जुट गये हैं। अब तक बड़ी संख्या में यादव और मुस्लिम नेता समाजवादी सेक्युलर मोर्चे संग जुड़ चुके हैं। इनमें अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष फरहत मियां, पूर्व सांसद राम सिंह, इटावा से दो बार सांसद रहे रघुराज शाक्य, डुमरियागंज से पांच बार विधायकी जीते यूसुफ मलिक समेत कई जिला और विधानसभा स्तर के सपा नेता सेक्युलर मोर्चे से जुड़ चुके हैं।
बीते बुधवार को कानपुर समाजवादी मजदूर सभा के नगर अध्यक्ष राजू ठाकुर ने 500 समर्थकों सहित पद से इस्तीफा दे दिया और शिवपाल के मोर्चे में शामिल हो गये। इस दौरान उन्होंने अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाये। माना जा रहा है कि अभी बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के उपेक्षित और रूठे नेता सेक्युलर मोर्चे में शामिल होंगे।
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समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का स्वरूप कैसा होगा, इसकी तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई है। शिवपाल यादव का फोकस सपा के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर को बिगाड़ने पर है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। शिवपाल यादव ने मोर्चे के नौ प्रवक्ताओं की लिस्ट जारी की, जिसमें 3 मुस्लिम, 2 यादव और 2 ब्राह्मण समुदाय के नेताओं को जगह दी है। शिवपाल की इस सूची में अखिलेश सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ला और शादाब फातिमा भी शामिल हैं। ये वे नाम हैं, जिन पर कभी अखिलेश यादव ने कार्रवाई की थी।
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद से शिवपाल यादव आये दिन अखिलेश पर तीखे तंज कस रहे हैं। रावण व कंस का उदाहरण देकर अहंकार दर्पण की बात कह रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव मौन हैं। पार्टी प्रवक्ता भी खामोश हैं। सीधे-सीधे कोई कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव शिवपाल पर पूछे गये एक सवाल पर साफ-साफ तो कुछ नहीं बोले, लेकिन अमर सिंह की पार्टी का हश्र याद दिलाकर तंज जरूर कसा। सूत्रों की मानें तो किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए पार्टी को इस मामले पर कुछ भी बोलने से मना किया गया है।
2017 के विधानभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री और शिवपाल यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। विवाद चुनाव के लिये कैंडिडेट घोषित करने पर हुआ। शिवपाल और अखिलेश दोनों ने अलग-अलग विधानसभा कैंडिडेट की लिस्ट घोषित की। विवाद बढ़ा तो अखिलेश ने शिवपाल के करीबियों को मंत्रिमंडल से निकाला, तो शिवपाल ने भी अखिलेश के कई चहेते नेताओं को सपा से बाहर कर दिया। परिवार की लड़ाई राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बन गई। अखिलेश ने रामगोपाल यादव संग मिलकर पिता मुलायम सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाते हुए खुद कुर्सी हथिया ली।
इतना ही नहीं उन्होंने शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद हटाकर नरेश उत्तम को को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की करारी हार हुई। उसके बाद से शिवपाल यादव लगातार अखिलेश पर मुलायम को अध्यक्ष पद देने को लेकर दबाव बनाते दिखे। आखिरकार, पिछले महीने शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना लिया।
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Updated on:
04 Jul 2025 06:18 pm
Published on:
13 Sept 2018 03:23 pm
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