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हिमालय के इन रहस्यों का राज़ खोलेंगे बीएसआईपी के वैज्ञानिक!

हिमालय के रहस्यों से पर्दा उठाएंगे बीएसआईपी के वैज्ञानिक, संस्थान में 10 करोड़ की लागत से लैब तैयार किया गया है

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Santoshi Das

Jul 02, 2016

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लखनऊ. आज से करोड़ों वर्ष पहले हिमालय क्या इतना ऊंचा था? किस तरह के वन्यजीव यहां रहते थे? आखिर साधु-संतो को हिमालय की गोद क्यूँ पसंद आती थी? हिमालय कैसे बना? हिमालय की उम्र, डायनासोर युग इन सब को जानने में अगर आप दिलचस्पी रखते हैं तो जल्द ही इन रहस्यों पर से पर्दा उठने वाला है। राजधानी स्थित बीएसआईपी के वैज्ञानिक इन रहस्यों से पर्दा उठाने वाले हैं।

जब भी हम हिमालय के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में हिमालय से जुड़ी तमाम बातें प्रश्न बनकर सामने आती हैं। मगर कई ऐसे सवाल हैं जिनका रहस्य अभी तक नहीं खुला है। इन रहस्यों से पर्दा उठाने का काम बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान करने वाला है। इस पर काम भी शुरू हो गया है।

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इन रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए संस्थान में 10 करोड़ की लागत से लैब तैयार किया गया है। इस लैब में हाइटेक मशीने होंगी। जिन शोध के लिए अभी तक बीएसआईपी के वैज्ञानिकों को यूरोपियन देशों पर निर्भर रहना पड़ता था वह शोध अब वह अपने संस्थान में ही हो सकेगा। इसके वैज्ञानिकों को शोध में काफी मदद मिलने की उम्मीद है।


संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सुनील कुमार बाजपेई ने बताया कि बीएसआईपी के वैज्ञानिक करोड़ों वर्ष पहले के मौसम के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। पुरा जलवायु के शोध से आने वाले समय के मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है। हमारे यहां वैज्ञानिक हिमालय की उत्पत्ति, चीन और भारत की प्लेट टकराने के समय आए मॉनसून पर अध्ययन कर रहे हैं। हिमालय में पाई जाने वाली चट्टानों की उम्र क्या है, वहां कैसे वन्यजीव थे जो अब लुप्त हो चुके हैं इनके बारे में खोज कर रहे हैं। इन खोज में हाईटेक मशीनों की जरूरत होती थी जिसके लिए हमें यूरोपियन देशों में निर्भर रहना पड़ता था। अब सारी मशीनें हमारे पास हैं। इस रिसर्च वर्क में थोड़ा समय लगेगा लेकिन इसके परिणाम चौंकाने वाले हो सकते है।

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2020 में होगा इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस
प्रोफेसर सुनील ने बताया कि 36वां इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस 2020 में दिल्ली में होने वाला है। इसमें भू-विज्ञान पर चर्चा होगी। इससे पहले बीएसआईपी और जीएसआई मिलकर देश की पुराजलवायु और भू-विज्ञान से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया की पुरावनस्पति विज्ञान की जानकारी से ही यह पता चल सकेगा कि कहां पर कौन सी फसल होती थी? भविष्य में कौन सी फसल किस मौसम में उगाई जाए? जीएसआई और बीएसआईपी के बीच पिछले वर्ष एमओयू साइन हुआ है जिसमें जिससे भू-विज्ञान और पुराजलवायु पर देश में अच्छा शोध होगा। प्रो सुनील ने बताया कि देश में 56 वर्ष बाद यह कांग्रेस होने वाली है। इसमें भारत दुनिया के नजरों में आएगा कि यहां क्या काम हो रहे हैं?

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