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Student Death: परीक्षा के बीच अचानक गिरी नन्हीं ज़िंदगी, 12 वर्षीय छात्र की मौत से स्कूल और परिवार में मातम

12-Year-Old Student Dies: लखनऊ के महानगर स्थित एक निजी स्कूल में परीक्षा देने पहुंचे 12 वर्षीय छात्र की अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। अंग्रेजी परीक्षा की कॉपी जमा करने के तुरंत बाद बच्चे ने सीट पर ही collapse कर दिया। स्कूल स्टाफ ने CPR देकर बचाने की कोशिश की, पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 06, 2025

लखनऊ के निजी स्कूल में परीक्षा देते समय 12 वर्षीय छात्र की हृदय गति रुकने से दर्दनाक मौत, स्कूल व परिवार में शोक की लहर (फोटो सोर्स : Whatsapp news Group)

लखनऊ के निजी स्कूल में परीक्षा देते समय 12 वर्षीय छात्र की हृदय गति रुकने से दर्दनाक मौत, स्कूल व परिवार में शोक की लहर (फोटो सोर्स : Whatsapp news Group)

Student Death Lucknow School: लखनऊ के महानगर क्षेत्र स्थित एक निजी विद्यालय में शुक्रवार की सुबह एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई, जहाँ कक्षा 6 में पढ़ने वाले 12 वर्षीय छात्र की परीक्षा के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। हृदय गति रुकने (कार्डियक अरेस्ट) से हुई इस मौत ने न केवल छात्र के परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि स्कूल प्रबंधन, शिक्षकों और छात्रों में भी शोक की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

परीक्षा दे रहा था छात्र, कॉपी जमा करने के बाद बिगड़ी तबीयत

घटना सुबह लगभग 11:10 बजे की बताई जा रही है। छात्र उस समय अंग्रेजी की परीक्षा दे रहा था। स्कूल प्राचार्य जिनू अब्राहम के अनुसार, बच्चे ने शांतिपूर्वक अपनी उत्तर–पुस्तिका जमा की और वापस अपनी सीट पर आकर बैठ गया। उसके साथ बैठे छात्रों और शिक्षकों ने बताया कि वह उस समय तक सामान्य दिख रहा था और किसी प्रकार की परेशानी की शिकायत नहीं कर रहा था। लेकिन कुछ ही क्षणों में वह अचानक अपनी सीट पर कांपने लगा और फिर बेहोश होकर गिर पड़ा। यह देखकर कक्ष निरीक्षक ने तुरंत शोर मचाकर अन्य शिक्षकों को बुलाया। घटना की अचानकता ऐसी थी कि पूरी कक्षा में अफरा-तफरी मच गई।

शिक्षकों ने की मदद की कोशिश, CPR भी हुआ

जैसे ही बच्चे के गिरने की सूचना मिली, स्कूल का स्टाफ और खेल शिक्षक तुरंत मौके पर पहुंच गए। स्कूल में प्रशिक्षित कर्मचारियों ने प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था के अनुसार बच्चे को CPR देने की कोशिश की, लेकिन कोई सुधार होता नहीं दिखा। शिक्षकों ने बताया कि बच्चे की नाड़ी महसूस नहीं हो रही थी और वह बिल्कुल निष्प्राण-सा पड़ा था। स्थिति गंभीर देख विद्यालय प्रबंधन ने तत्काल उसे पास के भाऊराव देवरस सिविल अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया। स्कूल की ओर से अत्यंत तेजी और सतर्कता दिखाते हुए बच्चे को तुरंत वाहन द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया।

अस्पताल पहुंचने पर नहीं मिली धड़कन, डॉक्टरों ने की लगातार कोशिशें

अस्पताल पहुंचने पर आपातकालीन विभाग के डॉक्टरों ने बच्चा लगभग बेहोशी की हालत में पाया। डॉ. मनीष शुक्ला, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, ने बताया कि बच्चे को जब अस्पताल लाया गया, तब उसकी नाड़ी नहीं चल रही थी, न ही हृदय की धड़कन मिल रही थी। हमारी टीम ने तुरंत उन्नत स्तर का CPR और अन्य पुनर्जीवन प्रक्रिया शुरू की। काफी देर तक बार-बार प्रयास किए गए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मजबूरी में हमें उसे मृत घोषित करना पड़ा।” डॉक्टरों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में मामला कार्डियक अरेस्ट का प्रतीत हुआ। विस्तृत रिपोर्ट के लिए पोस्टमार्टम किया जाएगा।

स्कूल परिसर में मातम, छात्रों में डर और सदमा

घटना के बाद स्कूल में परीक्षा रोक दी गई। कई छात्र जो घटना के समय वहीं मौजूद थे, सदमे की स्थिति में थे। शिक्षकों ने बच्चों को मनोवैज्ञानिक रूप से संभालने की कोशिश की और उन्हें सुरक्षित रूप से कक्षाओं से बाहर ले जाया गया। स्कूल प्राचार्य जिनू अब्राहम ने कहा कि  यह हमारे लिए बेहद दुखद दिन है। बच्चा बिल्कुल सामान्य था। उसकी अचानक हुई तबीयत खराब होने ने हम सभी को हिला कर रख दिया। हमने पूरी कोशिश की, लेकिन हम उसे बचा नहीं पाए। उन्होंने बताया कि स्कूल प्रशासन परिवार के साथ संपर्क में है और हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है।

शहर में दो वर्षों में तीसरी ऐसी घटना

लखनऊ में बच्चों के बीच हृदय गति रुकने से मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले दो वर्षों में तीन स्कूल छात्रों की कार्डियक अरेस्ट से मृत्यु हुई है। यह घटनाएँ यह संकेत देती हैं कि बच्चों में हृदय से संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं, या फिर किसी कारणवश वे अत्यधिक तनाव और दबाव में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि-

  • लंबा स्क्रीन टाइम
  • शारीरिक गतिविधियों में कमी
  • मोटापा
  • आनुवंशिक कारण
  • मानसिक तनाव
  • इन्हें मिलाकर बच्चों में हृदय संबंधी जोखिम बढ़ रहे हैं।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

इस दुखद घटना की खबर जैसे ही छात्र के परिवार तक पहुंची, घर में कोहराम मच गया। माता–पिता अपने इकलौते बेटे को इस तरह खो देंगे, यह उन्होंने कभी नहीं सोचा था। बताया जाता है कि बच्चे की तबीयत पहले कभी गंभीर रूप से खराब नहीं रही थी और वह नियमित रूप से स्कूल आ रहा था। परिवार ने अस्पताल में रोते-बिलखते बताया कि बच्चा पढ़ाई में अच्छा था और परीक्षा को लेकर उत्साहित था।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी-बच्चों की नियमित जांच जरूरी

शहर के हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि आजकल बच्चों में भी हृदय संबंधी बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों का वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य होना चाहिए। खासकर अगर परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास है। मानसिक और शैक्षणिक दबाव का प्रबंधन जरूरी है। स्कूलों में CPR और प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण होना चाहिए