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बुलडोजर नहीं अब ये कैमरा पकडेगा अपराधियों का गिरेबान, योगी सरकार की नई व्यवस्था

locationलखनऊPublished: Apr 27, 2022 06:20:58 pm

Submitted by:

Snigdha Singh

New Technology: प्रदेश में अब नई तकनीक से अपराधियों को पकड़ा जाएगा। इसके लिए योगी सरकार ने तीसरी आंखे यानि नई तकनीक के कैमरे लगाए हैं।

Surveillance Camera Established in Varanasi chauraha

Surveillance Camera Established in Varanasi chauraha

योगी सरकार ने यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर योगीराज का खौफ कायम किया है। यही वजह है कि बुलडोजर का नाम सुनते ही अपराधी सरेंडर करने थाने पहुंच जाते है। अब योगी सरकार का एक और हथियार “फेस रिकग्निशन कैमरा “अपराधियों को देखते ही सलाखों के पीछे पंहुचा देगा। योगी सरकार एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत वाराणसी के चौक, चौराहों और गलियों में कैमरा लगवाए गए हैं। इससे अपराधियों का बच निकलना मुश्किल होगा।
प्रदेश में कानून व्यवस्था बेहतर बनाए रखने के लिए योगी सरकार ने वाराणसी के चौक ,चौराहों और गलियों तक तीसरी नेत्र का जाल बिछा दिया है। कोई अपराधी यदि वाराणसी में प्रवेश होता है तो वे फेस रिकग्निशन कैमरे से बच नहीं पाएगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ.डी वासुदेवन ने बताया कि पुलिस के सुझाव से वाराणसी में 16 लोकेशन पर 22 कैमरे लगाए गए है। ये कैमरे करीब 50 से 60 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेता है। काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम के सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिस कर्मियों को अलर्ट कर देता है। फेस अलॉगर्थिम यानी डाटा बेस में मौजूद अपराधी की फोटो को कैमरे से कैप्चर करके पिक्चर से मिलान करेगा और उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम से बता देगा।
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ढके मुह को भी पहचान सकेगा कैमरा

ये कैमरे अपराधियों की सालो पुरानी फोटो मास्क, हेलमेट या किसी भी प्रकार से ढके हुए चेहरों की भी पहचान कर लेते है। अपराधी अपना अपना हुलिया बदलेंगे तो भी कैमरे की नजर से नहीं बच पाएंगे। वीडियो एनालिटिक्स के माध्यम से पूरे जिले के चप्पे -चप्पे पर नजर रखी जा रही है। लाखों की भीड़ में भी फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर आपराधिक चेहरे को खोज निकालेगा। कैमरे पर मौसम का कोई असर नहीं होगा।
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दो हजार से अधिक कैमरे

डॉ.डी वासुदेवन ने बताया कि एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत 400 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। जिसमें 720 लोकेशन पर 2183 अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए है। जो यातायात अपराध जैसे कई तरह से उपयोग में लाये जा रहे है। इस प्रोजेक्ट में भारतीय ,यूरोपियन और अमेरिकन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है।

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