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बसपा को अपनी ताकत दिखाने में स्वामी हुए फेल !

समीक्षकों की माने तो स्वामी का यह कदम उचित नहीं था। उन्हें पहला कार्यक्रम जोरदार तरीके से करना चाहिए था। वे ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि अब विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त भी नहीं बचा है। 

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Anil Ankur

Jul 02, 2016

swami prasad maurya

swami prasad maurya


लखनऊ. बसपा प्रमुख मायावती का साथ छोडने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य शुक्रवार को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने में उतने सफल नहीं हो पाए जितनी उनसे उम्मीद की जा रही थी। राजनीतिक विषलेशज्ञों की मानें तो स्वामी अपनी ताकत दिखाने में फेल हो गए। अब वे सितम्बर में अपनी ताकत फिर दिखाएंगे।

आखिर पहले कार्यक्रम के लिए क्यों चुना छोटा हाल
सियासी समीक्षकों का मानना है कि जब भी किसी राजनेता को अपनी ताकक का ऐहसास कराना होता है तो वह ऐसी रैली करता है जिससे उसकी ताकत का अंदाज उसके विरोधियों को हो जाए और वे डर जाएं। इसके साथ ही उसके समर्थकों को कार्यक्रम की सफलता से सबल मिलता है और वे अपने नेता के साथ और मजबूती से जुडते हैं। लेकिन बसपा छोडने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो कार्यक्रम किया वह छोटे से हाल मे शहर के बाहरी इलाके में किया गया। समीक्षकों की माने तो स्वामी का यह कदम उचित नहीं था। उन्हें पहला कार्यक्रम जोरदार तरीके से करना चाहिए था। वे ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि अब विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त भी नहीं बचा है।

अलग पार्टी बनाने पर चल रही चर्चा
बसपा छोडने के बाद से ही उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं। हालांकि वह बराबर कह रहे हैं कि समर्थकों की राय के बाद वह कोई फैसला लेंगे। कुछ लोग उनके द्वारा अलग पार्टी बनाने की बात भी कह रहे हैं। गौरतलब है कि मौर्य ने 22 जून को पार्टी अध्यक्ष सुप्रीमो मायावती के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था। उन्होंने सुश्री मायावती पर टिकटों की बोली लगाने का आरोप लगाते हुए पार्टी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि बसपा अध्यक्ष कांशीराम और अंबेडकर से रास्ते भटक गई हैं। मौर्य ने कहा था कि मायावती दलित नहीं, दौलत की बेटी है। उन्होंने पिछले चुनाव से सबक नहीं लिया।

सपा में जाने की लग रहीं थीं अटकलें
22 जून को बसपा छोडने के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि मौर्य समाजवादी पार्टी (सपा) में जाएंगे और 27 जून को मंत्रिमंडल के होने वाले विस्तार में अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, मगर दो दिन बाद ही उन्होंने सपा सरकार के खिलाफ बयान देकर जारी अटकलों को विराम दे दिया।

बसपा ने कहा परिवार के लिए टिकट चाहते थे मौर्या
बसपा अध्यक्ष मायावती ने हालांकि मौर्य के आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा था कि वह अपने परिवार के लिये टिकट की मांग कर रहे थे। उन्होने कहा था कि मौर्य ने इस्तीफा देकर सही फैसला किया नही तो उन्हे पार्टी से जल्द निकाला जाने वाला था।

मौर्या की सदस्यता समाप्त करने के लिए बसपा ने दी याचिका
उधर, बसपा ने कल स्वामी प्रसाद मौर्य की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने के लिए एक याचिका दी है। इस संबंध में विधानसभा सचिवालय ने मौर्य को एक नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। विधानसभा में नेता विपक्ष और बसपा नेता गयाचरण दिनकर ने संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 191(2) के तहत विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि 22 जून को मौर्य का गैर मर्यादित आचरण व्यवहार सिद्ध करता है कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है और अब उनकी सदस्यता उसी दिन से समाप्त की जानी चाहिए।

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