
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा, “यह अत्यंत संतोष का विषय है। पहले भी इस तरह के दिशा निर्देश थे। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 176(3) में भी इसका प्रावधान किया गया है। दिशानिर्देश में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिस तरह से आए दिन एनकाउंटर को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, उसकी आलोचना की जाती है, वैसा न हो और पूरी स्थिति खुद ब खुद पटाक्षेप हो जाए।”
विक्रम सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “5 सितंबर को मंगेश यादव के एनकाउंटर पर भी नाना प्रकार के सवाल उठाए गए थे। लेकिन, अब ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसके तहत फॉरेंसिक की टीम आएगी, विवेचक जाएंगे, ये वो विवेचक होंगे, जो कि स्थानीय थाने के नहीं होंगे। यह विवेचक किसी और थाने के होंगे जो पूरी पारदर्शिता के साथ घटना की जांच करेंगे।”
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा, “इसके बाद घटनास्थल की वीडियोग्राफी होगी। घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए जाएंगे। इसके बाद घटना के कारणों की जांच की जाएगी। वहीं, पोस्टमार्टम के लिए भी वीडियोग्राफी की व्यवस्था की गई है, ताकि पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सके कि आखिर यह सब कैसे हुआ। हालांकि, अभी कई मामले में पोस्टमार्टम के दौरान वीडियोग्राफी कराई जाती है। लेकिन, अब इसे हर तरह के मामलों में अनिवार्य कर दिया जाएगा। दो डॉक्टरों के द्वारा यह वीडियोग्राफी कराई जाएगी। दिशानिर्देश में इसकी पूरी रूपरेखा तय की जा चुकी है।”
उन्होंने आगे कहा, “इससे स्पष्ट होता है कि पुलिस और शासन गंभीर है। अब दोनों ने इस तरह की व्यवस्था की है कि किसी को भी उत्तर प्रदेश पुलिस के दामन पर सवाल उठाने का मौका नहीं मिलेगा।”
Published on:
22 Oct 2024 04:20 pm
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