Untold Story of Phoolan Devi- 15 साल की उम्र में गैंगरेप का शिकार हुई थी फूलन देवी, कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को लाइन से खड़ा कर गोली से उड़ा दिया था...
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. Untold Story of Bandit Queen Phoolan Devi- बैंडिट क्वीन के नाम से मशहूर दस्य सुंदरी व पूर्व सांसद फूलन देवी (Phoolan Devi) के बहाने यूपी में एक बार फिर पिछड़ों को साधने की कवायद तेज हो गई है। आज 10 अगस्त को उनकी जयंती है। बीते महीने 25 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने ट्वीट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। आइए जानते हैं कौन थी बैंडिट क्वीन फूलन देवी जो लंबे समय तक बीहड़ में आंतक का पर्याय बनी रही और क्या है उनकी पूरी कहानी?
मुलायम के मंच पर फूलन का भाषण
फूलन देवी को भले ही ठाकुरों के विरोधी के तौर पर याद किया जाता है, लेकिन एक ठाकुर (जसविंत सिंह सेंगर) ने ही कदम-कदम पर उनकी मदद की। सांसद बनने के बाद इस बात का खुलासा खुद फूलन देवी ने किया था। भदोही से सांसद बनने के बाद चंबल के
चकरनगर में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की जनसभा थी। मंच पर फूलन देवी भी थीं। इस दौरान उनसे ठाकुरों पर कुछ बोलने को कहा गया। उन्हें कुछ नहीं समझ आया तो भाषण की शुरुआत इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर के नाम से की। जनसभा को फूलन देवी ने बताया कि बेहमई कांड के बाद सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी थी। खाने-पीने से लेकर तमाम जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं।
22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर गोली से उड़ा दिया था
फूलन देवी का नाम सुनते ही जेहन में एक ऐसी लड़की की तस्वीर कौंध जाती है, जिसने खुद पर हुए जुल्म का प्रतिशोध लेने के लिए 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर गोली से उड़ा दिया था। फूलन देवी पर 22 हत्या, 30 डकैती व किडनैपिंग के 18 मामले दर्ज थे, जिसके चलते उन्हें 11 वर्ष जेल में काटने पड़े। 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फूलन पर लगे सभी आरोप वापस लेने का फैसला किया।
15 वर्ष की उम्र में गैंगरेप
11 वर्ष की उम्र में ही पुत्तीलाल नाम के एक बूढ़े आदमी से फूलन देवी की शादी हुई थी। अक्सर वह फूलन को प्रताड़ित करता था। परेशान होकर फूलन ने पति का घर छोड़ दिया और अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। 15 वर्ष की उम्र में गांव के ठाकुरों ने फूलन से गैंगरेप किया था। न्याय के लिए फूलन ने कई प्रयास किया, लेकिन हर जगह से मायूस लौटीं। नाराज दबंगों के कहने पर डाकुओं ने फूलन का अपहरण कर लिया और बीहड़ में तीन हफ्तों तक उससे रेप करते रहे। इसके बाद फूलने ने विक्रम मल्लाह के साथ मिलकर बंदूक उठा ली और दुश्मनों का सफाया करने लगी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 1983 में फूलन देवी ने आत्म समर्पण कर लिया।
समाजवादी पार्टी से बनीं सांसद
1994 में फूलन जेल से छूटीं और उम्मेद सिंह से शादी कर ली। 1996 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी ने फूलन देवी को मिर्जापुर से टिकट दिया, वह जीती भीं। 1998 में हारीं, लेकिन 1999 में फिर चुनाव जीत गईं। 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने फूलन देवी को गोली मार दी। राणा का कहना था कि उसने फूलन को मारकर बेहमई हत्याकांड का बदला ले लिया है।