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1500 करोड़ सालाना बचत के लिए सीसीए खत्म, 16 लाख कर्मचारियों के 6 तरह के भत्ते बंद होने से कम से कम 1000 प्रतिमाह का होगा नुकसान

कोविड-19 की वजह से आर्थिक संकट झेल रही उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 लाख राज्य कर्मचारियों के छह तरह के भत्ते खत्म कर दिए हैं। इन भत्तों के खत्म होने से सरकार को सालाना 1500 करोड़ की बचत होगी।

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

May 12, 2020

State Govt to transfer Rs. 1000 per month to every family in Assam

State Govt to transfer Rs. 1000 per month to every family in Assam

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
लखनऊ. कोविड-19 की वजह से आर्थिक संकट झेल रही उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 लाख राज्य कर्मचारियों के छह तरह के भत्ते खत्म कर दिए हैं। इन भत्तों के खत्म होने से सरकार को सालाना 1500 करोड़ की बचत होगी। जल्द ही वित्त विभाग इस संबंध में आदेश जारी कर देगा। इसके बाद मई की तनख्वाह से ये भत्ते मिलने बंद हो जाएंगे। राज्य सरकार के इस फैसले का राज्य कर्मचारी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है।

उप्र सरकार ने राज्य कर्मचारियों का नगर प्रतिकर (सीसीए) और सचिवालय सहित कुल 6 प्रकार के भत्तों को खत्म कर दिया है। इस संबंध में प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि छठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों में जिन भत्तों को समाप्त करने की सिफारिश की गई थी, उन्हें ही खत्म किया गया है। कर्मचारियों के वेतन, डीए, और एचआरए में कटौती नहीं की गयी है। वह उन्हें पूर्ववत मिलता रहेगा।

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किन विभागों पर असर-
योगी सरकार के इस फैसले का असर प्रदेश के 16 लाख कर्मचारियों और शिक्षकों पर पड़ेगा। सचिवालय भत्ता सचिवालय कर्मियों को मिलता था। नगर प्रतिकर भत्ता प्रदेश के सभी कर्मचारियों को देय था। इसी तरह लोक निर्माण और सिंचाई विभाग के अभियंताओं और फील्ड कर्मचारियों को विशेष भत्ता दिया जा रहा था। पुलिस विभाग की अपराध शाखा, सीबीसीआईडी, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग, अभिसूचना विभाग, विजिलेंस और सुरक्षा शाखा के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी फील्ड भत्ता मिल रहा था। इन भत्तों में रिसर्च भत्ता, अर्दली भत्ता और डिजाइन भत्ता शामिल था। पहले इन भत्तों का भुगतान 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थगित करने का आदेश जारी हुआ था। अब सरकार ने इन भत्तों को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला ले लिया है।

सैलरी पर कितना पड़ेगा प्रभाव
कर्मचारियों को अभी नगर प्रतिकर भत्ता (सीसीए) 250 से लेकर 900 रुपए मिल रहा था। सचिवालय भत्ता 2500 रुपए के करीब था। अन्य भत्ते भी 500 से 1000 रुपए के बीच थे। इस तरह प्रत्येक कर्मचारी को कम से कम एक हजार का नुकसान उठाना पड़ेगा।

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कर्मचारी संगठनों ने जताया विरोध-
भत्ते खत्म होने की घोषणा के बाद प्रदेश के कर्मचारी संगठन विरोध में उतर आए हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों के साथ ऐसा अन्याय करेगी, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था। कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे। विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी भत्तों को बंद करने पर विरोध जताया है।

ये भत्ते हुए खत्म
- नगर प्रतिकर भत्ता (सीसीए)
- सचिवालय भत्ता
- पुलिस विभाग को स्वीकृत विशेष भत्ता
- अवर अभियंताओं को स्वीकृत विशेष भत्ता
- लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों का विशेष भत्ता
- सिंचाई विभाग के कर्मचारियों का विशेष भत्ता

पत्रिका व्यू-
कोरोना वायरस के संक्रमण ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। 25 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने अपने बजट में तमाम कटौतियां की हैं। कर्मचारियों की यात्रा, नयी खरीद और नए प्रोजेक्ट स्थगित कर दिए हैं। इसी क्रम में कर्मचारियों का डीए रोका गया है। अब छह तरह के भत्ते खत्म कर योगी सरकार ने संकेत दिया है कि वह फिजूलखर्ची से कड़ाई से निपटेगी। वैसे भी जिन भत्तों को बंद किया गया है उन्हें पहले ही बंद कर देने की सिफारिश की गयी थी। आर्थिक मंदी से निपटने के लिए इस तरह के कड़े फैसले लेने ही पड़ेगे, तभी कोरोना के वैश्विक संकट से निपटा जा सकेगा।