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UP Assembly Disqualifies: जनता ने जिताया, पार्टी ने निकाला, विधानसभा ने मोहर लगाई – अब MLA नहीं, सिर्फ यादें बचीं, जानिए कौन हैं वो…

UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने समाजवादी पार्टी से निष्कासित तीन विधायकों मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को असंबद्ध घोषित कर दिया। राज्यसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने पर यह कार्रवाई हुई। यह कदम दल-बदल और निष्ठा पर सख्त संदेश माना जा रहा है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jul 10, 2025

तीन विधायकों को विधानसभा में असंबद्ध घोषित किया गया, सपा और सदन दोनों ने कहा 'नमस्ते' फोटो सोर्स :Social Media

तीन विधायकों को विधानसभा में असंबद्ध घोषित किया गया, सपा और सदन दोनों ने कहा 'नमस्ते' फोटो सोर्स :Social Media

UP Assembly SP MLA Disqualifies: उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हुआ जब समाजवादी पार्टी (सपा) से निकाले गए तीन विधायकों मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को विधानसभा सचिवालय द्वारा "असंबद्ध विधायक" घोषित कर दिया गया। 2024 राज्यसभा चुनाव में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने वाले इन नेताओं को पहले सपा ने निष्कासित किया था और अब विधानसभा ने भी इनकी सदस्यता को औपचारिक रूप से निरस्त कर दिया।

क्या है पूरा मामला

23 जून को राज्यसभा चुनाव में सपा के अधिकृत उम्मीदवार आलोक रंजन के विरोध में तीनों विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार संजय सेठ को वोट दिया। इस क्रॉस वोटिंग ने सपा में हलचल मचा दी और पार्टी ने तुरंत तीनों को अनुशासनहीनता और जनादेश के साथ विश्वासघात का दोषी मानते हुए निष्कासित कर दिया। 5 जुलाई को सपा ने विधानसभा सचिवालय को विधायकों के निष्कासन की विधिवत जानकारी दी। 9 जुलाई को प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे ने तीनों को असंबद्ध विधायक घोषित कर दिया। इसका मतलब है कि अब वे सदन में किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं माने जाएंगे और स्वतः उनकी विधायकी समाप्त मानी जाएगी।

'विचारधारा से धोखा, जनादेश से गद्दारी'

सपा ने इस घटना को लोकतंत्र और पार्टी की विचारधारा के साथ सीधा धोखा करार दिया है। पार्टी ने सोशल मीडिया और प्रेस बयान में इन तीनों विधायकों पर निम्न आरोप लगाए:

  • सांप्रदायिकता और विभाजनकारी राजनीति का समर्थन करना
  • किसान, महिला, युवा और नौकरीपेशा वर्ग विरोधी नीतियों का समर्थन
  • सपा की PDए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नीति के खिलाफ काम करना
  • पार्टी ने कहा कि "हृदय परिवर्तन की अनुग्रह अवधि" अब समाप्त हो चुकी है और कड़ी कार्रवाई का समय आ चुका है।

विशेषज्ञों के अनुसार यह निर्णय सपा की आंतरिक अनुशासन और राजनीतिक संदेश की स्पष्टता को दर्शाता है। ऐसे समय में जब दल-बदल को लेकर नैतिकता और निष्ठा पर सवाल उठते हैं, सपा ने स्पष्ट किया है कि विचारधारा से समझौता किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. विवेक कुमार के अनुसार, "यह एक जरूरी संदेश है कि कोई भी जनादेश के साथ छल करेगा तो उसे पार्टी और जनता दोनों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।"

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं भी तीखी रही। किसी ने तंज कसा: "अब MLA का मतलब – Missing Loyalty Always!" तो किसी ने लिखा, "राजनीति में लव मैरिज की तरह वोटिंग में अरेंज्ड सेटिंग मत करो, भारी पड़ेगा!"

विधानसभा का रुख

प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे के अनुसार संविधान की 10वीं अनुसूची और विधानसभा नियमावली के तहत कार्रवाई करते हुए तीनों विधायकों को असंबद्ध घोषित किया गया है। इससे स्पष्ट है कि सदन ने भी क्रॉस वोटिंग को गंभीर उल्लंघन मानते हुए आवश्यक कदम उठाया है। अब इन तीनों नेताओं की विधायकी समाप्त हो चुकी है। अगर वे चाहें तो दोबारा किसी अन्य दल से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन उनकी साख और जनता का विश्वास अब चुनौतीपूर्ण मोड़ पर है। विधानसभा में उनकी सीटें रिक्त मानी जाएगी और संभवतः उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।