
UP Assembly Pallavi Patel Attacks Yogi Government
UP Assembly Pallavi Patel Attacks Yogi Government: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन, सिराथू से समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा उजागर हो चुका है। पल्लवी पटेल ने कहा कि भाजपा हमेशा सांप्रदायिक मुद्दों को बढ़ावा देती है और वास्तविक समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने का काम करती है।
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान, पल्लवी पटेल ने मांग की कि संस्कृत और उर्दू भाषाओं को भी कार्यवाही में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा, "किसी भी भाषा का ज्ञान व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार लाता है। लेकिन सरकार इसे स्वीकार करने के बजाय सिर्फ राजनीति कर रही है।" उन्होंने सवाल उठाया कि जब स्थानीय भाषाओं को सदन में स्वीकार किया जा सकता है, तो संस्कृत और उर्दू को शामिल करने में क्या आपत्ति है?
पल्लवी पटेल ने भाजपा पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जनता के मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय धार्मिक और भाषाई विवादों को हवा देने में लगी हुई है। उन्होंने कहा, "भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा उजागर हो गया है। वे हमेशा सांप्रदायिक मुद्दों को बढ़ावा देते हैं और वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाते हैं।"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए पल्लवी पटेल ने कहा, "सीएम योगी कब तक अपना दोहरा चरित्र छिपाएंगे? उन्होंने खुद मान लिया है कि उनके स्कूलों में अब भी कमियां बनी हुई हैं। अगर वे और खुलकर बोलते, तो यह भी मान लेते कि महाकुंभ में अव्यवस्था हुई और जानमाल का नुकसान हुआ।"
विपक्षी दलों ने भी पल्लवी पटेल की मांग का समर्थन किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा, "भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। मंत्री पद का दुरुपयोग किया जा रहा है, और आरक्षण नीति का मजाक उड़ाया जा रहा है। यह सरकार दलितों और पिछड़ों के अधिकारों का हनन कर रही है।" उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि यदि मंत्री आशीष पटेल ने भ्रष्टाचार किया है, तो उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए।
उत्तर प्रदेश सरकार के भाषा विभाग के अनुसार, उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। विभाग की नीतियों में सरकारी गजट का उर्दू अनुवाद, उर्दू प्रवीणता परीक्षा का आयोजन, और हिन्दी आशुलिपि एवं टंकण प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना शामिल है। इसके बावजूद, विधानसभा कार्यवाही में उर्दू और संस्कृत भाषाओं को शामिल करने की मांग पर सरकार की उदासीनता विपक्ष के निशाने पर है।
विधानसभा में भाषा के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान का प्रतीक भी है। पल्लवी पटेल की मांग ने इस बहस को और गहरा कर दिया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार सभी भाषाओं और संस्कृतियों को समान महत्व देने के लिए तैयार है?
Updated on:
19 Feb 2025 09:14 am
Published on:
19 Feb 2025 08:34 am
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