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कोरोना के आगे डॉक्टर भी बेबस, नौकरी छोड़ने की कर रहे पेशकश, अस्पतालों से हो रहे गायब

up corona update Doctors leaving jobs in hospitals due to covid fear. कोरोना (coronavirus in up) को यदि मरीज मात दे रहे हैं, तो इसके पीछे डॉक्टरों की मेहनत ही है, लेकिन दूसरी लहर में वह भी बेबस और डरे हुए हैं।

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Apr 28, 2021

Doctors in up

Doctors in up

लखनऊ. up corona update Doctors leaving jobs in hospitals due to covid fear. कोरोना (coronavirus in up) संकट की इस घड़ी में डॉक्टर ही हैं, जिनकी प्रदेश व देश में सबसे ज्यादा जरूरत हैं। कोरोना को यदि मरीज मात दे रहे हैं, तो इसके पीछे डॉक्टरों की मेहनत ही है, लेकिन दूसरी लहर में वह भी बेबस और डरे हुए हैं। आम जनता के साथ-साथ प्रदेश के कई अस्पतालों में तैनात डॉक्टर कोरोना की चपेट में आ रहे हैं, जिस कारण कई ने तो अपनी जान भी गवा दी है। शायद यही वजह है कि 'जान है तो जहान है की नीति' अपनाकर अब वे भी नौकरी छोड़कर भाग रहे हैं। प्रदेश के निजी अस्पतालों को जब से कोविड अस्पताल का दर्जा दिया गया है, तब से वहां मरीजों की तादाद बढ़ी है, लेकिन मेडिकल स्टाफ यहां भी हाथ खड़े कर दे रहा है। कानपुर व लखनऊ में निजी अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ पैरा मेडिकल का आधा स्टाफ गायब ही हो गया है। डर इनमें इस कदर हावी है कि वे गर्भवती महिलाओं को देखने से ही मना कर दे रहे हैं। लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में पचास फीसदी डॉक्टर संक्रमित हैं। कई सरकार व निजी अस्पतालों का यही हाल है। ऐसे में मरीज जाए तो कहां जाए। हालांकि प्रशासन कोशिश कर गैर जनपद से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ बुला रहा है, लेकिन यह नाकाफी है।

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नौकरी छोड़कर जा रहे डॉक्टरों की होगी जांच-
कानपुर के निजी अस्पतालों में 12 से अधिक डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ने की पेशकश की है। साथ ही पैरा मेडिकल का आधा स्टाफ भी चला गया है। जिलाधिकारी आलोक तिवारी के संज्ञान में जब यह बात आई तो वह भी हैरान रह गए। उन्होंने साफ कहा कि यदि कोई डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ कोरोना या बेहतर वेतन के चक्कर में नौकरी छोड़ता है, तो उसकी जांच कराई जाएगी। यदि डॉक्टर की मंशा गलत साबित होती है, तो उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में नौकरी छोड़ना अपराध जैसा है। डॉक्टरों की पढ़ाई में जो खर्च आया था, उसमें नागरिकों का भी योगदान होता है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील भी की कि समाज को वर्तमान में सबसे ज्यादा जरूरत उन्हीं की है, वे उससे मुंह न मोड़े।

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अस्पतालों में डॉक्टरों की स्थिति-
राजधानी लखनऊ के हालात काफी खराब है। यहां बलरामपुर अस्पताल को कोविड दर्जा प्राप्त हुए तीन सप्ताह हो चुके हैं। और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर सहित उनके संपर्क में आए करीब 40 से अधिक डॉक्टर व 100 से अधिक स्टाफ संक्रमित हो चुका है। लोहिया संस्थान में करीब 40 फीसदी स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हो चुका है। दूसरी लहर में केजीएमयू के 600 से अधिक स्टाफ संक्रमित हो चुका है। डॉक्टरों की इस किल्लत को देखते हुए सरकारी संस्थानों में गैर जनपद से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ बुलाए जा रहे हैं, तो निजी कोविड संस्थानों में कोविड ड्यूटी के लिए डॉक्टरों की भर्ती शुरू हो गई है।

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यूं ली जा रही गैर जनपद व दूसरे विभाग की डॉक्टरों की मदद-
बलरामपुर में फिलहाल गैर जनपद से पांच डॉक्टरों को बुलाकर उनकी सेवाएं ली जा रही हैं। अभी और डॉक्टर व स्टाफ को बुलाया जाएगा। लोकबंधु कोविड अस्पताल में आसपास के जिलों से चार डॉक्टरों की टीम बुलाकर किसी तरह कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है। केजीएमयू प्रशासन दूसरे विभाग से डॉक्टरों को बुलाकर मरीजों का इलाज करवा रहा है। निजी मेडिकल कॉलेज कैरियर हॉस्पिटल में डॉक्टर व स्टाफ की कमी देखते हुए रेजिडेंट की भर्ती निकाली गई है। इसमें पहले बैच में 31 लोगों को भर्ती किया गया है, जिनकी सेवाएं कोविड में ली जा रही हैं। इसी तरह आलमबाग के कारपोर्रेट हॉस्पिटल में कोविड वार्ड में स्टाफ के संकट से ड्यूटी के लिए विज्ञापन निकाला गया है।