
यूपी चुनाव 2022 में कांग्रेस 2 और बसपा सिर्फ 1 सीट पर सिमटी, विधायकों के नाम जानेंगे तो हैरान हो जाएंगे
यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 273 सीट पाई। और अब नई सरकार बनाएगी। दूसरे नम्बर पर सपा गठबंधन को 125 सीटें प्राप्त हुई हैं। पर बसपा और कांग्रेस की मिलीं सीटें जानकर आप हैरत में आ जाएंगे। नई बनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी से भी कम सीटें मिली हैं राष्ट्रीय पार्टी बसपा को। रसड़ा विधानसभा सीट से उमाशंकर सिंह ने तीसरी बार जीत हासिल बसपा की लाज बचाई है। उधर कांग्रेस की आराधना मिश्रा मोना ने अपने पिता प्रमोद तिवारी की राह पर चलते हुए रामपुर खास से कांग्रेस का परचम लहराया। कांग्रेस ने दूसरी सीट महाराजगंज जिले की फरेंदा पर वीरेंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की।
रसड़ा विधानसभा सीट पर बसपा
बसपा उम्मीदवार उमाशंकर सिंह ने बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट पर तीसरी बार जीत हासिल की। चुनाव 2022 में उमाशंकर सिंह को 87345 वोट मिले। सुभासपा के महेंद्रा 80681 मत मिले। कड़े संघर्ष के बाद अंत में उमाशंकर ने 6585 मतों जीत दर्ज की। पहले रसड़ा विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित थी। घूरा राम यहां से विधायक बनते थे। पर वर्ष 2012 में परिसीमन की वजह से यह सीट सामान्य हो गई। पहली बार उमाशंकर सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा के सनातन पांडेय को करीब 52 हजार मतों से हराया था।
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रामपुर-खास फिर हुआ खास
रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व बरकरार रहा। कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना ने भाजपा के नागेश प्रताप सिंह को 14,741 मतों से हराकर जीत की हैट्रिक लगाई है। आराधना मिश्रा को 84,334 मत मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी नागेश प्रताप सिंह को 69,593 मत मिले। कांग्रेस ने रामपुर खास से लगातार 12वीं जीत दर्ज की है। आराधना मिश्रा के पिता प्रमोद तिवारी इस सीट से रिकार्ड लगातार नौ बार विधायक रहे।
फरेंदा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
महाराजगंज जिले की फरेंदा सीट पर कांग्रेस को करीब 20 साल बाद जीत मिली है। पार्टी प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह को 1,087 मतों के अंतर से पराजित किया। वीरेंद्र चौधरी को कुल 84755 वोट, बीजेपी उम्मीदवार को 83668 वोट हासिल हुए। आजादी के बाद 1952 से 1967 तक कांग्रेस के गौरीराम गुप्ता फरेंदा से विधायक रहे। 1969 में पियारी देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। 1974 में सीपीआई के लक्ष्मीनारायन पांडेय विधायक चुने गए। 1977, 1980 में सीपीआई से श्यामनरायन तिवारी ने जीत हासिल की। 1985 में जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में हर्षवर्धन सिंह ने जीत दर्ज की। 1989 व 1991 में कांग्रेस के टिकट पर फिर श्यामनारायन तिवारी चुनाव जीते। 1993 में भाजपा के चौधरी शिवेंद्र ने सीपीआई-एम के विनोद तिवारी को मात्र 50 मतों के अंतर से हराया। 1996 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई-एम व सपा गठबंधन के उम्मीदवार विनोद तिवारी को जीत मिली।
Published on:
11 Mar 2022 06:42 pm
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