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देश की सबसे बड़ी हड़ताल, जिसमें 15 लाख लोग थे शामिल, 30 हजार कर्मचारी हुए थे गिरफ्तार

UP Electricity Strike: यूपी में बिजलीकर्मियों की हड़ताल से लोग परेशान हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि 49 साल पहले एक ऐसी हड़ताल हुई थी जिसने पूरे देश को ठप कर दिया था।

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लखनऊ

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Rizwan Pundeer

Mar 19, 2023

strike

बिजलीकर्मियों की हड़ताल ने उत्तर प्रदेश में बड़ा बिजली संकट खड़ा कर दिया है। प्रदेश के कई हिस्सों में बिजली-पानी ना होने से लोग परेशान हैं। बिजलीकर्मियों की हड़ताल की हर कोई चर्चा कर रहा है लेकिन क्या आप देश की सबसे बड़ी हड़ताल के बारे में जानते हैं।


1974 में ठप हो गया था देश का कामकाज
देश में 1974 में रेलवे की हड़ताल हुई थी, जिसमें कई दूसरे क्षेत्रों की यूनियनें भी शामिल हो गई थीं। मुंबई से शुरू हुई ये हड़ताल इतनी बड़ी हो गई थी कि पूरे देश में इसका भारी असर हुआ था। इसे देश की अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल के तौर पर जाना जाता है। जिसका नेतृत्व जॉर्ज फर्नांडिस ने किया था।

10 बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस 1974 में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष थे। उनके सामने रेलवे कर्मचारियों की सैलरी को लेकर मांग उठाई गई। उन्होंने फैसला लिया कि रेलवेकर्मियों का वेतन बढ़ाने की मांग के लिए हड़ताल की जाए।

IMAGE CREDIT: जॉर्ज फर्नांडिस अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने थे


8 मई, 1974 को शुरू हुई हड़ताल
फर्नांडिस की अगुवाई में 8 मई 1974 को हड़ताल शुरू की गई। मुंबई से हड़ताल शुरू हुई। देखते ही देखते ना सिर्फ रेलवे के कर्मचारियों के साथ बिजली, ट्रांसपोर्ट समेत कई यूनियनों के कर्मचारी आ गए।


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कर्मचारियों ने रेल पटरियों पर कब्जा कर लिया तो देशभर में रेल के पहिए रुक गए। इससे पूरा देश ही थम सा गया। इस हड़ताल में करीब 15 से 16 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था।

सरकार ने सेना के जरिए की थी हड़ताल को दबाने की कोशिश
जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में चली हड़ताल को रोकने के लिए उस समय की इंदिरा गांधी सरकार ने काफी सख्ती दिखाई थी। सरकार ने रेलवे ट्रैक से लोगों को हटाने के लिए सेना को बुलाया था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस हड़ताल पर जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि 30,000 से ज्यादा लोगों को इस दौरान गिरफ्तार किया गया था। कई हजार लोगों पर देशभर में मुकदमे दर्ज हुए थे।


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इस हड़ताल को तीन हफ्ते बाद 27 मई को फेडरेशन ने वापस ले लिया था। सरकार ने फेडरेशन की मांग नहीं मानी थी। इसके बावजूद हड़ताल वापस लेने का ऐलान कर दिया गया था। कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने की मांग में ये हड़ताल असफल रही। देश के इतिहास की सबसे बड़ी हड़ताल के तौर पर ये जरूर दर्ज हो गई।