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ये हैं यूपी के पांच खूबसूरत और ऐतिहासिक मंदिर, दर्शन से हर मान्यता होती है पूर्ण

त्तर प्रदेश राज्य अपनी संस्कृति, कल्चर और सभ्यता के लिए भी जाना जाता है। यहां प्राचीन मंदिरों और पुराणों का खजाना है। इस राज्य में हिंदुओं के लगभग सभी धार्मिक और तीर्थ स्थान बसते हैं।

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UP Five Historical Temples where Every Belief is Fulfilled by Darshan

UP Five Historical Temples where Every Belief is Fulfilled by Darshan

लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य अपनी संस्कृति, कल्चर और सभ्यता के लिए भी जाना जाता है। यहां प्राचीन मंदिरों और पुराणों का खजाना है। इस राज्य में हिंदुओं के लगभग सभी धार्मिक और तीर्थ स्थान बसते हैं। आज हम आपको उत्तर प्रदेश के पांच ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां मान्यता है कि अगर एक बार दर्शन करो और भगवान से कोई भी मुराद मांगो तो वह पूरी होती है।

मनकामेश्वर मंदिर

राजधानी लखनऊ के बीचों-बीच गोमती नदी के निकट शिव-पार्वती का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। इसका नाम मनकामेश्वर मंदिर है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि आने वाले हर भक्त की मनोकामना बाबा भोलेनाथ अवश्य पूरी करते हैं। मंदिर में हर साल देशभर से भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर के फर्श पर चांदी के सिक्के जुड़े हैं और मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ विराजमान हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में मन से मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है।

शैलपुत्री का मंदिर

विश्व की सबसे प्राचीन प्रसिद्ध नगरी काशी को मंदिरों की नगरी कहा जाता है। शिव और काल भैरव की इस अद्भुत नगरी में माता शैलपुत्री का मंदिर है, जहां नवरात्र में सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। नवदुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री का होता है। शिव की नगरी काशी विश्वनाथ यानी वाराणसी के अलईपुरा इलाके में इनका मंदिर बना है। यहां आदि शैलपुत्री का मंदिर है। कहा जाता है कि यह मंदिर इतना शक्तिशाली है कि माता अपने भक्तों की हर प्रार्थना सुनती हैं। यहां आने वाली महिलाएं सुहाग की लंबी उम्र के लिए माता को लाल फूल, लाल चुनरी और मिठाई चढ़ाती हैं।

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बेल्हा देवी का मंदिर

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में बेल्हा देवी का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां दूर-दूर से लोग देवी मां के दर्शन करने और अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। बेल्हा देवी मंदिर को शक्ति पीठ का दर्जा हासिल है। मंदिर में लोग अपने बच्चों का मुंडन, कर्ण छेदन आदि संस्कार करवाते हैं और मंदिर में मांगलिक कार्य भी होते हैं। मंदिर को लेकर यह कहा जाता है कि चित्रकूट से अयोध्या लौटते समय भरत ने यहां पूजन किया था। जिसके बाद से ही यह मंदिर लोगों के अस्तित्व में आया और मंदिर को लेकर लोगों में आस्था भी बढ़ने लगी।

मथुरा में द्वापर युग का प्राचीन शिव मंदिर

इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा रौद्र रूप में है, इसलिए इन्हें महाकाल स्वरूप माना जाता है। भगवान शिव को मथुरा का क्षेत्रफल कहा जाता है, क्योंकि मथुरा के चारों कोनों पर भोलेनाथ के चार मंदिर हैं। ऐसा कहा जाता है है कि निसंतान दंपत्ति को यहां दर्शन करने के बाद संतान सुख की प्राप्ति होती है। मंदिर को लेकर यह कहा जाता है कि जिस महिला को संतान नहीं वह अगर 16 सोमवार तक गोकर्ण महादेव की पूजा और व्रत करें तो उनकी ये इच्छा जरूर पूरी होती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, अगर कोई श्रद्धालु गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर में 40 दिन तक लगातार भगवान शिव स्त्रोत का पाठ करते हैं और गन्ने के रस से अभिषेक करते हैं, वह सभी कष्टों से दूर रहते हैं।

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हनुमान मंदिर, प्रयागराज

प्रयागराज में हनुमान जी का यह मंदिर संगम किनारे बना है। यह अकेला ऐसा प्रतिमा है जहां हनुमान जी की 20 फीट की लेटी हुई प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त किसी कष्ट या परेशानी से पीड़ित हैं, उनके यहां आकर दर्शन करने पर मुराद पूरी होती है। संगम किनारे बसे इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि अगर संगम स्नान के बाद मंदिर में दर्शन नहीं किए तो स्नान अधूरा माना जाता है। संगम नगरी में इन्‍हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेट हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से जाना जाता है।