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बाघ को बेवक़ूफ़ बनाना यूपी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लिए मुश्किल! लगातार खा रहा पड़वा

मैलानी में दो इंसानों को मार चुके बाघ जो यूपी फारेस्ट डिपार्टमेंट रोजाना पड़वा खिला रहा है।

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Santoshi Das

Aug 30, 2016

Tiger

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लखनऊ.
मैलानी में दो इंसानों को मार चुके बाघ जो यूपी फारेस्ट डिपार्टमेंट रोजाना पड़वा खिला रहा है। पड़वा खिलाने का मकसद बाघ को तंदुरुस्त बनाना नहीं बल्कि उसको पकड़ना है। दरअसल यूपी के लखीमपुर दुधवा नेशनल पार्क से सटे मैलानी के जंगल से बाघ बाहर निकल इंसानी बस्ती में घुस गया है। बीते 15 दिनों में वन विभाग उसको पकड़ने के लिए तमाम तिकडम लगा रही है लेकिन बाघ चकमा देकर निकल जा रहा है।


मैलानी के जंगल से निकले बाघ ने अब तक दो ग्रामीणों को मार डाला है। ग्रामीणों का गुस्सा विभाग के पर भड़का हुआ है। गांवालों के आक्रोश का सामना कर रहे वन विभाग के अधिकारी बाघ को ट्रैप कर उसको जंगल की तरफ खदेड़ने में लगे हुए हैं। इस काम में विभाग को काफी माथा पच्ची करनी पड़ रही है। मगर चालाक बाघ से विभाग को मात खानी पड़ रही है।




बाघ को पकड़ने के लिए यूपी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम लगातार जंगल में डटी हुई है। बाघ के पदचिन्ह जिस जगह पर ज्यादा मिले हैं वहां सीसीटीवी नाइट विजन कैमरे भी लग गए। कैमरे में बाघ होने की पुष्टि भी हो गई है लेकिन टाइगर को पकड़ना विभाग के लिए मुश्किल बन गया है। उत्तर प्रदेश वन्य जीव संरक्षक उमेन्द्र शर्मा ने बताया की लखनऊ और दूसरे राज्यों से बाघ पकड़ने की टीम आई है। यह टीम बाघ को पकड़ने में लगी है। उनका टारगेट है बाघ को उसी तरफ वापस करना जहां से वह भटक कर आया है।


बाघ पकड़ने के लिए ऐसे कर रहा है विभाग काम

बाघ को पकड़ने के लिए पहले जंगल में हथिनी रामकली से कॉम्बिंग की गई मगर बाघ का कोई सुराग नहीं मिला

मामला गंभीर होता देख विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए गांव के उस हिस्से में पिजड़ा बांधा जहां पर बाघ के आने जाने के चिन्ह मिले




मगर बाघ पिजड़े के पहुंच से अभी तक दूर ही है

वन विभाग के विशेषज्ञों ने बाघ को पकड़ने के लिए पिजड़े में पड़वा रखा जिसको खाने की लालच में बाघ पकड़ में आ जाये मगर बाघ पड़वा तो खींच ले जाता है मगर जाल में नहीं फंसता।


लखनऊ में आये बाघ को पकड़ने में लगे थे 110 दिन

वर्ष 2012 की बात करें तो मलिहाबाद में घुसे बाघ को पकड़ने में वन विभाग को 110 दिन का समय लग गया था। बाघ को पकड़ने में वन विभाग की टीम के साथ ही पुलिस फ़ोर्स को भी लगाना पड़ गया था। लखनऊ से सटे काकोरी में बाघ घूमता रहा। उस बाघ को पकड़ने में दिल्ली और हैदराबाद से टीमें आईं मगर किसी को सफलता नहीं मिली थी।

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बाघ को पकड़ने के लिए खोदा गया था गड्ढा और लगाया था पिजड़ा

वन विभाग की टीम के लिए 2011 में आये बाघ को पकड़ना काफी मुश्किलो भरा था।

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बाघ एक के बाद एक शिकार कर रहा था लेकिन उसको पकड़ नहीं पा रही थी टीम।

विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए जाल बिछाकर गड्ढा भी खोदा। मगर बाघ इतना होशियार था की वह गड्ढे में गिरने के बाद भी उससे आसानी से खुद को बाहर निकल लिया था। आखिरकार 110 दिन के बाद बाघ जो पकड़ा गया और उसको लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ दिया गया था।

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