
Drug Resistant Cancer Treatment (photo- gemini ai)
Drug Resistant Cancer Treatment: कैंसर के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती तब आती है, जब दवाइयां कुछ समय बाद असर करना बंद कर देती हैं। शुरू में कीमोथेरेपी या टारगेटेड थैरेपी से फायदा होता है, लेकिन धीरे-धीरे कैंसर की कोशिकाएं खुद को बदल लेती हैं। इन्हीं बदलावों को म्यूटेशन कहा जाता है। ये म्यूटेशन कैंसर को दवाओं से बचने की ताकत देते हैं और इलाज फेल हो जाता है। खासकर मेटास्टेटिक कैंसर में यह समस्या बहुत आम है, जहां कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैल चुका होता है।
इजराइल के Weizmann Institute of Science के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने कैंसर से लड़ने का बिल्कुल नया तरीका खोजा है। इस रिसर्च की सबसे खास बात यह है कि वैज्ञानिक अब उन म्यूटेशन को ही इलाज का आधार बना रहे हैं, जिनकी वजह से कैंसर दवाओं के प्रति रेसिस्टेंट हो जाता है। यह स्टडी प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल Cancer Discovery में प्रकाशित हुई है।
रिसर्च टीम ने एक खास कंप्यूटेशनल टूल विकसित किया है, जिसका नाम है SpotNeoMet। यह टूल ऐसे म्यूटेशन की पहचान करता है जो इलाज के बाद कैंसर में उभरते हैं और कई मरीजों में एक जैसे पाए जाते हैं। इन म्यूटेशन से कैंसर कोशिकाओं में छोटे-छोटे प्रोटीन के टुकड़े बनते हैं, जिन्हें Neo-Antigens कहा जाता है।
Neo-Antigens सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर मौजूद होते हैं, स्वस्थ कोशिकाओं पर नहीं। यही वजह है कि इम्यून सिस्टम को इन्हें पहचानना सिखाया जा सकता है। नई इम्यूनोथेरेपी का लक्ष्य यही है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन Neo-Antigens को पहचानकर सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर हमला करे, बिना स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए।
प्रोफेसर Yardena Samuels के अनुसार, जो म्यूटेशन कैंसर को दवा से बचने में मदद करते हैं, वही सटीक इम्यूनोथेरेपी में उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन सकते हैं। इस तकनीक की खास बात यह है कि यह हर मरीज के लिए अलग-अलग इलाज नहीं मांगती। यानी यह ‘बुटीक ट्रीटमेंट’ नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में मरीजों के लिए एक जैसा इलाज हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने इस नई तकनीक को मेटास्टेटिक प्रोस्टेट कैंसर पर टेस्ट किया। यह वह कैंसर है जिसमें ज्यादातर मरीज समय के साथ इलाज के प्रति रेसिस्टेंट हो जाते हैं। रिसर्च के दौरान तीन ऐसे Neo-Antigens की पहचान हुई, जिन्होंने लैब टेस्ट और चूहों पर किए गए प्रयोगों में अच्छे और सकारात्मक नतीजे दिखाए।
अगर आने वाले समय में इंसानों पर होने वाले क्लिनिकल ट्रायल भी सफल रहते हैं, तो यह तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जिनका कैंसर मौजूदा इलाज पर असर नहीं दिखा रहा। आसान शब्दों में कहें तो अब वैज्ञानिक कैंसर की चालाकी को ही उसके खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। यह खोज भविष्य में कैंसर इलाज की दिशा को पूरी तरह बदल सकती है।
Published on:
30 Dec 2025 02:59 pm
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