
मछुआरों के लिए रोजगार के नए द्वार
UP सरकार का यह कदम मछुआरों को सहकारी समितियों में संगठित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया है। वर्तमान में प्रदेश में 1135 सहकारी समितियां सक्रिय हैं, और इस नई योजना के तहत 565 नई समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया है। इससे लगभग 16,000 मछुआरों को रोजगार मिलने की संभावना है। प्रदेश की प्रत्येक न्याय पंचायत में एक समिति गठित करने की योजना बनाई गई है, जिससे मछुआ समुदाय का सामाजिक और आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।
मछुआरों को ऑनलाइन आवेदन कर सहकारी समितियों में भागीदारी का अवसर मिलेगा। प्रत्येक समिति में न्यूनतम 27 सदस्य होने आवश्यक हैं, जिनमें तीन अनुसूचित जाति के सदस्य और छह महिलाएं अनिवार्य रूप से शामिल होंगी। यह सुनिश्चित किया गया है कि समितियों के सदस्य केवल वही व्यक्ति बन सकते हैं, जो मछली पालन या मछली पकड़ने में सक्रिय रूप से शामिल हैं। आवेदन करने के लिए मछुआरों को आधार कार्ड और मोबाइल नंबर प्रस्तुत करना होगा, और सभी आवश्यक दस्तावेजों को पोर्टल पर 30 दिनों के भीतर अपलोड करना होगा।
मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने "निषाद राज बोट सब्सिडी योजना" की भी घोषणा की, जिसके तहत अब मत्स्य जीवी सहकारी समितियों और उनके सदस्यों को सब्सिडी का लाभ मिलेगा। इसके अलावा, जलाशयों के ठेका/पट्टा नीलामी प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है। अब समितियों को हैसियत प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी, और केवल धनात्मक संतुलन पत्र और 50% एफडीआर के आधार पर नीलामी में भाग लिया जा सकेगा।
इसके साथ ही, महिला पट्टा धारकों को भी प्राथमिकता देने की योजना है, जिससे महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
मछुआ परिवारों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए "उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष योजना" के अंतर्गत छात्रों को शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा दी जाएगी। इस योजना से मछुआ परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा के अवसर मिलेंगे और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने इस ऑनलाइन पोर्टल को मछुआरों के लिए आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इससे मछुआ समुदाय को सहकारी समितियों में संगठित होकर मत्स्य उत्पादन, विपणन, और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, यह कदम राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान करेगा और मछुआरों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएगा। यह योजना मछुआरों को स्वायत्तता और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करती है, जिससे वे मत्स्य पालन और मछली विपणन में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।
यह पहल उत्तर प्रदेश के मछुआ समुदाय को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इस योजना से न केवल मछुआरों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
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Published on:
23 Sept 2024 09:09 am
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