दरअसल, अभी तक सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को राज्य सरकार निशुल्क यूनिफॉर्म और पाठ्य पुस्तकें देती थी। वहीं, सरकारी स्कूलों के बच्चों को मोजे-जूते, स्वेटर व स्कूल बैग निशुल्क दिया जाता है। अब सरकार इसमें डीबीटी लागू करने की सोच रही है। यानी कि यह धनराशि सीधे बच्चों के अभिभावकों के खाते में दी जाएगी।
यूनिफॉर्म, स्वेटर पर इतने पैसे यूनिफॉर्म पर 300 प्रति जोड़े के हिसाब से दो यूनिफॉर्म का 600 रुपये, जूते के लिए 135 रुपये, मोजा 21 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये प्रति बच्चा दिया जाता है। प्रदेश में लगभग 1.60 करोड़ बच्चों को इसका लाभ दिया जाता है।
भ्रष्टाचार से मिलेगी निजात इस फैसले के पीछे की मंशा कमीशनखोरी और भ्रष्टाचारी को खत्म करना है। अभी तक यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते-मोजे में कमीशनखोरी खूब चलती थी। हर साल विभागों में यह शिकायत रहती थी कि जूते एक महीने में फट जाते हैं या कपड़े की क्वॉलिटी खराब है। ऐसे में पैसा सीधे अभिभावकों के खाते में ट्रांसफर करने पर वे अपने बच्चों के लिए अपने अनुसार बाजार से बढ़िया चीजें लेंगे। इससे विभाग में पनपे भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चंद्र द्विवेदी डीबीटी लागू करने को सही मानते हैं। अभिभावक अपने बच्चों के लिए बाजार से बढ़िया चीज ही खरीदते हैं। लेकिन डीबीटी लागू करने से पहले इसका सभी पहलुओं पर परीक्षण किया जाएगा।