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Codeine Syrup: कोडीन कफ सिरप पर योगी सरकार का प्रहार, अवैध नशा कारोबारियों पर कसा शिकंजा पूरे प्रदेश में

Yogi government: उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप के खिलाफ योगी सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत बड़ा अभियान शुरू किया है। पुलिस, एफएसडीए और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में सैकड़ों दवा प्रतिष्ठानों पर छापेमारी हुई और कई तस्कर गिरफ्तार किए गए, जिससे अवैध नेटवर्क की पोल खुल गई।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 09, 2025

कोडीन युक्त कफ सिरप पर योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति, पूरे प्रदेश में सख्त कार्रवाई से टूटा अवैध नेटवर्क (फोटो सोर्स : Information Department )

कोडीन युक्त कफ सिरप पर योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति, पूरे प्रदेश में सख्त कार्रवाई से टूटा अवैध नेटवर्क (फोटो सोर्स : Information Department )

UP Launches Zero-Tolerance Crackdown: उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त प्रतिबंधित कफ सिरप के विरुद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चलाया जा रहा व्यापक अभियान अब निर्णायक चरण में पहुंच गया है। राज्य सरकार ने इस पूरे मामले में ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ अपनाते हुए प्रदेश भर में सख्त कार्रवाई तेज कर दी है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए), उत्तर प्रदेश पुलिस और यूपी एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई से अवैध दवा व्यापार के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिससे राज्य की स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था और अधिक मजबूत हुई है।

प्रेस वार्ता के दौरान प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रदेश सरकार नागरिकों की सेहत और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने यह भी साफ किया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बाजार में बिकने वाली सभी दवाएं मानकों के अनुरूप हों, और मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई तय है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई है, जिससे सोशल मीडिया पर चल रही कई अफवाहों का खंडन हुआ।

एसआईटी का गठन, जांच को मिली नई धार

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिरीक्षक स्तर पर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जिसमें एफएसडीए के वरिष्ठ अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। इस एसआईटी को कोडीन युक्त सिरप के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री से जुड़े पूरे नेटवर्क की गहन जांच का जिम्मा सौंपा गया है। इसका उद्देश्य केवल तस्करों को पकड़ना ही नहीं, बल्कि इस अवैध कारोबार से जुड़े पूरे वित्तीय नेटवर्क को भी उजागर करना है।

‘नशा मुक्त भारत, नशा मुक्त उत्तर प्रदेश’ अभियान

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने बताया कि ‘नशा मुक्त भारत, नशा मुक्त उत्तर प्रदेश’ अभियान के तहत अब तक 28 जनपदों में 128 दवा प्रतिष्ठानों और कारोबारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दो महीनों में खाद्य सुरक्षा विभाग, जिला पुलिस और यूपी एसटीएफ के सहयोग से प्रदेश में एंटी नारकोटिक्स अभियान चलाकर अवैध कफ सिरप की बड़ी खेप जब्त की गई है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर झूठी या भ्रामक खबरें फैलाने वालों के खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है। वाराणसी में इसी तरह की अफवाह फैलाने पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।

अंतरराज्यीय नेटवर्क का खुलासा

एफएसडीए को केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (मध्य प्रदेश) से महत्वपूर्ण इनपुट प्राप्त हुए थे, जिसके आधार पर औषधि विभाग की टीमों ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड में स्थित दवा कंपनियों और डिपो पर गहन जांच की। इनमें हिमाचल की दो, उत्तराखंड की तीन और हरियाणा की एक निर्माता फर्म तथा झारखंड के रांची स्थित सुपर स्टॉकिस्ट की विशेष जांच की गई।

इस जांच के दौरान यह सामने आया कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों - जैसे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गाजियाबाद  में बिना पर्ची और लाइसेंस के बड़ी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप बेचा जा रहा था। कुछ प्रतिष्ठानों द्वारा 1 से 3 लाख बोतलों तक की अवैध बिक्री का खुलासा हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि इस तस्करी का नेटवर्क नेपाल और बांग्लादेश से भी जुड़ा हुआ है, जिससे मामला और अधिक गंभीर हो गया है।

सैकड़ों प्रतिष्ठानों की जांच, बड़े पैमाने पर बरामदगी

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की सचिव रोशन जैकब ने बताया कि अभियान के दौरान प्रदेश भर में कुल 279 दवा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। कई स्थानों पर यह पुष्टि हुई कि सिरप को औषधि नहीं बल्कि नशे के रूप में बेचा जा रहा था। अवैध भंडारण, नकली स्टॉक रजिस्टर और बिना वैध दस्तावेजों के बिक्री करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। जांच में यह भी सामने आया कि वाराणसी और गाजियाबाद के आसपास के क्षेत्रों में इस अवैध गतिविधि का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा था, जहां युवाओं को नशे की लत में फंसाने का नेटवर्क सक्रिय था।

एफआईआर और गिरफ्तारियां

अब तक इस अभियान के अंतर्गत कुल 128 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें एनडीपीएस एक्ट के तहत भी सख्त धाराएं लगाई गई हैं। वाराणसी में 38, अलीगढ़ में 16, कानपुर में 8, गाजियाबाद में 6, महाराजगंज और लखनऊ में 4-4 तथा अन्य जिलों में 52 मुकदमे दर्ज हुए हैं।

यूपी एसटीएफ द्वारा नौ मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें धर्मेन्द्र कुमार विश्वकर्मा, पवन गुप्ता, शैलेन्द्र आर्या, विभोर राणा, विशाल सिंह, बिट्टू कुमार, सचिन कुमार, अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा और आलोक प्रताप सिंह शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न जोनों में अलग-अलग गिरफ्तारियां और नोटिस की कार्रवाई भी की गई है।

ट्रकों से लाखों बोतलों की बरामदगी

सबसे बड़ी कार्रवाई सोनभद्र और गाजियाबाद में देखने को मिली, जहां अक्टूबर और नवंबर में लाखों बोतलें कोडीन युक्त कफ सिरप बरामद की गईं। 18 अक्टूबर को सोनभद्र में दो ट्रकों से 1,19,675 बोतलें पकड़ी गईं। इसके बाद रांची और गाजियाबाद-सोनभद्र संयुक्त अभियान में 1,57,350 बोतलें जब्त की गईं। इन मामलों में कई आरोपी गिरफ्तार हुए और फिलहाल अन्य फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर शिकंजा

प्रकरण से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कार्रवाई वाराणसी में हुई, जहां सोशल मीडिया पर झूठे आरोप लगाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई। वादी अम्बरीश कुमार सिंह की शिकायत पर अमिताभ ठाकुर, नूतन ठाकुर समेत अन्य पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी।