
सुभासपा अध्यक्ष और जहूराबाद विधायक ओम प्रकाश राजभर ने निकाय चुनाव में आरक्षण पर आए कोर्ट के फैसले को लेकर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण लागू नहीं होता है तो इलेक्शन भी नहीं होने दिया जाएगा। राजभर ने सपा को भी पिछड़ों को आरक्षण ना मिलने में भाजपा की तरह की दोषी बताया है।
गुरुवार को राजभर ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, स्थानीय निकाय चुनाव में जो गड़बड़ी आई है। वो स्थानीय नेताओं के दबाव में अधिकारियों ने की है। जिसे सरकार ने स्वीकार भी किया है। सभी ये मान रहे हैं कि पिछड़ों का जो आरक्षण है उसमें गड़बड़ी हुई है। पिछड़ों के नाम पर बस आयोग पर आयोग बन रहा है। उनको इंसाफ नहीं मिल रहा है।
राजभर ने आगे कहा कि सरकार ने बोला है कि हम आरक्षण देकर ही चुनाव करवाएंगे। हमारी पार्टी भी कटिबद्ध है। हम बिना आरक्षण के चुनाव नहीं होने देंगे। हमारे वकील इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की भी तैयारी कर रहे है।
रिपोर्ट को रद्दी में फेंक दिया
राजभर ने कहा, “वीर मंडल आयोग 1989 में गठित हुआ। 1990 में रिपोर्ट आई तो उसको साइड में रख दिया। फिर सामाजिक न्याय समिति 2001 में बनी। उसको भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। 2017 में माननीय राघवेंद्र के नेतृत्व में कमिटी बनी और उसकी रिपोर्ट को भी रद्दी बनाकर फेंक दिया।
सपा ने प्रमोशन में आरक्षण खत्म किया
राजभर ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण समाजवादी पार्टी ने खत्म किया। आरक्षण पर हाईकोर्ट ने उस समय फैसला दिया जब अखिलेश की सरकार थी। इन्होंने 5 साल सरकार चलाई लेकिन सामाजिक न्याय करने के लिए जो अति पिछड़ा समाज 38% है। उसको हिस्सा देने के लिए कभी मन नहीं बनाया।
राजभर ने कहा कि जब सपा के समय में नौकरियों में भर्ती हो रही थी तो उस समय न तो राजभर, न चौहान, न केवट, न मल्लार, न आरक, न बंजारा। इन्हें ये सब याद नहीं आया। सरकार में जब रहते हैं तो जातियां याद नहीं आती, जैसे ही सरकार से बाहर होते हैं तो अति पिछड़ी जातियां याद आती हैं।
Published on:
29 Dec 2022 03:08 pm
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