
Liquor shop
लखनऊ. आबकारी विभाग (Excise Department) से सरकार को खूब राजस्व (Revenue) प्राप्त होता है। कोरोनाकाल में भी जब सब कुछ बंद था, तब शराब ही थी, जिसकी बिक्री से सरकार खजाना भरता गया। यूपी भी इस मामले में पीछे नहीं रहा। एक अध्य्यन में पता चला है कि शराब के शौकीनों के मामले में यूपी नंबर वन है। पूरे देश में यूपी में सर्वाधिक मदिरापान होता है। दूसरे नंबर पर है पश्चिम बंगाल। एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। इस क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है। आने वाले दिनों में खपत बढ़ेगी और लोगों को इस क्षेत्र में ज्यादा रोजगार मिलेगा।
उत्पादन 23.8 प्रतिशत बढ़ा-
एक अध्ययन के अनुसार, देश में 2015-16 से 2018-19 के दौरान शराब का उत्पादन करीब 23.8 प्रतिशत बढ़ा है। अध्ययन में कहा गया है कि क्षेत्र ने करीब 15 लाख लोगों को रोजगार दिया है। 2019 में इस क्षेत्र का बिक्री कारोबार 48.8 अरब डॉलर था।
सबसे तेजी से बढ़ता बाजार-
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अल्कोहलिक पेय के मामले में दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है। 2020 में इस बाजार का आकार 52.5 बिलियन डॉलर था। शराब के बाजार में 2020 से 2023 के दौरान सालाना 6.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
अध्ययन के अनुसार पश्चिम बंगाल में करीब 1.4 करोड़ लोग ऐसे है, जो शराब पीते हैं। यह राज्य के तीन प्रमुख राजस्व कमाई वाले क्षेत्रों में है। अध्ययन में कहा गया है कि राज्य में मूल्य मॉडल में हाल में बदलाव किया गया है। इसे मुक्त बाजार से निचला एक्स-डिस्टिलरी मूल्य (ईडीपी) किया गया है। शराब पर करों में बढ़ोतरी हुई है जो उद्योग के लिए एक प्रमुख चिंता की वजह है। अध्ययन में कहा गया है कि खुदरा कीमतों में भारी बढ़ोतरी से राज्य में देश में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) की बिक्री में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
आर्थिक शोध एजेंसी इक्रियर तथा विधि परामर्शक कंपनी पीएलआर चैंबर्स के एक संयुक्त अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गणना का तरीका हालांकि निचला ईडीपी है, लेकिन आबकारी शुल्क बढ़ा दिया गया है। मूल्य में बदलाव पर उपभोक्ताओं प्रतिक्रिया के लिहाज से इस मुद्दे की समीक्षा करने की जरूरत है।
Published on:
14 Aug 2021 07:11 pm
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