
योगी सरकार के इस फैसले पर भड़के कर्मचारी संगठन, कहा- नहीं पूरी होने देंगे सरकार की ये मंशा
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नाराज कर्मचारियों का कहना है कि योगी सरकार गरीब कर्मचारियों को परेशान करने के बजाय यूपी को लूटने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को चिन्हित करने का काम करे। राज्य कर्मचारी संगठन ने फैसले के विरोध में आंदोलन की धमकी दी है। सोमवार को इस सिलसिले में कर्मचारी संगठनों की बैठक होने जा रही है, जिसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद राज्य सरकार प्रदेश के 16 लाख कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करेगी। इसके लिये 31 जुलाई 2018 तक की समय सीमा तय की गई है। इस फैसले के तहत 31 मार्च 2018 को 50 साल की उम्र पूरी कर रहे उन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी, जिनका कार्य असंतोषजनक है। समूह 'क' से लेकर समूह 'घ' के सभी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग होगी।
ड़क से शासन तक लड़ाई के मूड में कर्मचारी
सचिवालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष यादुवेंद्र मिश्रा ने सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ब्यूरोक्रेट के दबाव में आ गई है, इसलिये सरकार राज्य कर्मचारियों को परेशान करने जा रही है। यह सरासर अन्याय है। कर्मचारी संगठन पूरी तरह से सरकार के इस फैसले का विरोध करेगा। इसकी लड़ाई सड़क से शासन तक की जाएगी। मिश्रा ने कहा कि सरकार के इस आदेश से कर्मचारियों में काफी गुस्सा है। वे सरकार को माफ करने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के बड़े भ्रष्ट अधिकारी किसी से छिपे नहीं हैं। सरकार पहले उनकी स्क्रीनिंग क्यों नहीं करवाती?
शासनादेश का गलत इस्तेमाल करेंगे अफसर
कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारी हरकिशोर तिवारी का कहना है राज्य सरकार के इस शासनादेश का अधिकारी गलत इस्तेमाल करेंगे। पिछली बार भी ऐसे तमाम कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर दिया, जिनसे अफसरों की नहीं बनती थी। कर्मचारी संगठनों को कहना है किसी को अक्षम कर्मचारी साबित करने के लिए कम से कम दो साल उसके कार्य का मूल्याकंन होना चाहिए।
नहीं मानेंगे तुगलकी आदेश
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार कर्मचारी महासंघ के महासचिव राम बरण यादव ने कहा कि सरकार का यह तुगलकी आदेश किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सोमवार को इस संबंध में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों के दबाव में सरकार ने यह फैसला लिया है। इसमें कुछ ऐसे कर्मचारियों को दंडित किया जाएगा, जो पहले से अफसरों की नजर में है। कहा कि इस मामले में सरकार की मंशा साफ नहीं हैं।
निगम व प्राधिकरण कर्मचारी ने जताई नाराजगी
निगम और अन्य प्राधिकरणों के कर्मचारियों ने भी राज्य कर्मचारी महासंघ को पूरा समर्थन देने की घोषणा की है। 27 निगमों के मोर्चे और प्राधिकरणों के संगठन ने एक बयान में कहा है कि सरकार का यह फैसला किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा। हटाना है तो भ्रष्ट अधिकारियों को हटवाएं।
Published on:
07 Jul 2018 06:34 pm
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