
Arms license
लखनऊ. लाइसेंसी शस्त्र रखने के मामले में यूपी सबसे आगे है। 1 जनवरी 2018 से 15 सितंबर 2020 के बीच अखिल भारतीय वैधता वाले कुल 94,400 शस्त्र लाइसेंस का नवीकरण किया गया जिनमें से 19,238 उत्तर प्रदेश से हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों में यह उजागर हुआ है। बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि प्रदेश के हाऊस (Gun House) से अपराधियों तक कारतूस पहुंच रहे हैं। जिससे आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। कारतूस बिक्री के इस काले बाजार को यूपी के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी अमित पाठक ने उजागर किया था। जिसके बाद सितंबर माह में ही लाइसेंसी हथियारों के दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठाया।
इसमें कहा गया है कि शासन द्वारा प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत शस्त्र लाइसेंस धारकों के शस्त्रों और उनके द्वारा खरीदे और इस्तेमाल किए गए कारतूसों (Cartridge) का भौतिक सत्यापन होगा। सभी लाइसेंसी हथियार रखने वालों को यह सत्यापन करवाना होगा। इसके लिए समय सीमा भी तय कर दी गई है।
अधिकतम शत्र लाइसेंस यूपी में ही निरस्त-
शस्त्र लाइसेंस का नवीकरण के मामले में यूपी के बाद जम्मू कश्मीर (14,172) है। वहीं हरियाणा में 12,230 लाइसेंस नवीकरण हुए। वहीं एक जनवरी 2018 से 15 सितंबर 2020 के बीच रद्द किये गए कुल 2,435 शस्त्र लाइसेंस में से अधिकतम उत्तर प्रदेश (1911) से ही थे।
Published on:
03 Oct 2020 07:00 am
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
