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लखनऊ. कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए यूपी सरकार ने टीकाकरण को रफ्तार दे दी है। कोरोना वायरस और टीकाकरण को लेकर यूपी सरकार लगातार रिकार्ड पर रिकार्ड बना रही है। नए मानदंड पेश कर रही है। और देश के दूसरे राज्यों को कोरोना वायरस पर काबू पाने और टीकाकरण में तेजी की राह दिखाई। जल्द ही यूपी एक और कीर्तिमान बनाने के लिए तैयार है। सूबे में टीके की पहली डोज पाने वाले पात्र लोगों की संख्या 12 करोड़ और टीके की दूसरी डोज लेने वाले पात्र लोगों की संख्या छह करोड़ होने वाली है।
अब तक करीब 8.89 करोड़ टेस्ट -
यूपी सरकार के अनुसार सर्वाधिक टेस्ट व टीकाकरण करने वाले प्रदेश में अब तक करीब 8.89 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। बीते 24 घंटों में हुई 1.74 लाख टेस्टिंग में सिर्फ 9 कोरोना संक्रमण के केस पाए गए। इस दौरान 11 लोगों ने संक्रमण को मात दी। प्रदेश में सक्रिय केसों की संख्या 134 है वहीं रिकवरी रेट 98.7 प्रतिशत है। यूपी में अब तक 78.91 प्रतिशत को पहली और 37.93 प्रतिशत को दूसरी डोज लगाई जा चुकी है।
सर्वाधिक टीकाकरण करने वाला प्रदेश -
यूपी में अभी तक 17.24 करोड़ से अधिक टीके की डोज देकर देश में सर्वाधिक टीकाकरण करने वाला प्रदेश है। यूपी में 11.63 करोड़ 63 लाख पात्र लोगों को पहली डोज और 5.60 करोड़ को दूसरी डोज दी जा चुकी है।
छूटे लोगों को किया जा रहा चिन्ह्ति -
टीकाकरण टीम के साथ काम करने वाले आशा, आंगनबाडी, लिंक वर्कर के द्वारा टीकाकरण दिवस पर क्षेत्र में टीकाकरण से छूटे हुए लोगों को चिन्ह्ति किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में सुबह आठ बजे से रात दस बजे तक एक फिक्स्ड कोविड टीकाकरण सत्र का संचालन किया जा रहा है।
केजीएमसी में होगी जीनोम सीक्वेंसिंग -
मुरादाबाद में कोरोना संक्रमित होने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाएगी। शासन ने इसकी जांच के लिए किंग जार्ज मेडिकल कालेज (केजीएमसी) लखनऊ में नामित किया गया है। सभी कार्यालय में फिर से कोरोना हेल्प डेस्क शुरू करने का आदेश दिया गया है। स्वास्थ्य निदेशालय ने आदेश दिया है कि कोरोना की जांच के लिए अधिक से अधिक लोगों के नमूने लिए जाएं। जांच में संक्रमित पाए जाने वाले वाले सभी व्यक्तियों का नमूना लेकर जीनोम सीक्वेसिंग के लिए केजीएमसी लखनऊ भेजा जाएं। इसकी जांच से ओमिक्रोन वायरस से संक्रमित होने की जानकारी मिलेगी।
जीनोम सीक्वेंसिंग क्या है - हमारी कोशिकाओं में आनुवंशिक पदार्थ डीएनए और आरएनए होता है। इन्हें सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है। दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और दूरी में आएं अंतर को समझने के लिए जीनोम मैंपिंग किया जाता है। इसकी स्टडी से संक्रमित व्यक्ति में हुए बदलाव का पता लगता है। और यह पहले वाले वायरस से कितना अलग प्रकार का है।
Published on:
11 Dec 2021 08:23 am
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