
पन्ना लेकर बाबा बोलेंगे दो घंटे, माता प्रसाद ने ली मौज (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )
Mata Prasad Pandey Assembly Session: उत्तर प्रदेश विधानसभा का माहौल उस वक्त पूरी तरह रंगीन हो गया, जब सत्ता और विपक्ष की तीखी बहस के बीच अचानक हास्य का ऐसा तड़का लगा कि पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा। मौका था कार्यवाही के दौरान एक नेता के लंबे भाषण को लेकर चली चुटीली टिप्पणी का। “पन्ना लेकर बाबा बोलेंगे दो घंटे, माता प्रसाद ने ली मौज”-यह जुमला सुनते ही सदन में बैठे सदस्यों की हंसी छूट पड़ी और कुछ देर के लिए राजनीति की गंभीरता पर मुस्कान भारी पड़ गई।
विधानसभा की कार्यवाही अपने तय एजेंडे के अनुसार चल रही थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर बहस जारी थी। कभी सरकार की उपलब्धियों का बखान हो रहा था, तो कभी विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश में जुटा था। माहौल सामान्य रूप से राजनीतिक और गंभीर बना हुआ था।
इसी बीच एक वरिष्ठ नेता के लंबे भाषण को लेकर सदन में हल्की-फुल्की टिप्पणी आई। चर्चा के दौरान जब यह कहा गया कि “पन्ना लेकर बाबा बोलेंगे दो घंटे,” तो सदन में बैठे सदस्य अपनी हंसी रोक नहीं पाए। इस पर माता प्रसाद ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया और माहौल और भी खुशनुमा हो गया।
विधानसभा में विपक्ष के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडेय अपनी बेबाक और व्यंग्यात्मक शैली के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भी मौके का फायदा उठाते हुए ऐसी चुटीली टिप्पणी कर दी कि सत्ता पक्ष के सदस्य भी मुस्कुराने से खुद को रोक नहीं पाए।
माता प्रसाद की इस टिप्पणी पर सदन में मौजूद कई विधायक अपनी सीटों पर हंसते नजर आए। कुछ देर के लिए कार्यवाही में ठहराव सा आ गया और पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा। विधानसभा अध्यक्ष को भी मुस्कुराते हुए व्यवस्था संभालनी पड़ी।
राजनीति को आमतौर पर गंभीर और टकराव से भरा माना जाता है, लेकिन ऐसे मौके यह साबित करते हैं कि लोकतांत्रिक मंचों पर हास्य और विनोद की भी अपनी जगह है। सदन में हुई यह हल्की-फुल्की नोकझोंक न सिर्फ माहौल को सहज बनाती है, बल्कि नेताओं के मानवीय पक्ष को भी सामने लाती है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लंबे और थकाऊ सत्रों के दौरान ऐसे पल सदन के माहौल को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इससे संवाद की तल्खी कुछ कम होती है और चर्चा फिर से सकारात्मक दिशा में लौटती है।
विधानसभा या संसद में लंबे भाषणों को लेकर तंज कसना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार नेताओं के लंबे वक्तव्यों पर मजेदार टिप्पणियां सुनने को मिलती रही हैं। कभी विपक्ष तंज कसता है, तो कभी सत्ता पक्ष पलटवार करता है।
इस बार “पन्ना लेकर बाबा बोलेंगे दो घंटे” वाला जुमला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया। लोग इसे राजनीति के बोझिल माहौल में ताजगी भरा पल बता रहे हैं।
हालांकि हंसी-मजाक का दौर कुछ देर चला, लेकिन इसके बाद कार्यवाही फिर से अपने गंभीर मुद्दों पर लौट आई। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि हास्य अपनी जगह ठीक है, लेकिन सदन की गरिमा और समय का ध्यान रखना भी जरूरी है। सभी सदस्यों ने अध्यक्ष की बात से सहमति जताई और इसके बाद प्रश्नकाल और अन्य मुद्दों पर चर्चा आगे बढ़ी।
सदन में हुआ यह वाकया विधानसभा की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहा। सोशल मीडिया पर भी इस पर खूब प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे राजनीति का मानवीय चेहरा बताया, तो कुछ ने कहा कि ऐसे पल जनता को अपने प्रतिनिधियों से जोड़ते हैं। कई यूजर्स ने वीडियो क्लिप और मजेदार कैप्शन के साथ इस घटना को शेयर किया। देखते ही देखते यह चर्चा का विषय बन गया।
माता प्रसाद जैसे अनुभवी नेता अपनी भाषण कला और व्यंग्य के लिए जाने जाते हैं। उनकी टिप्पणियों में अक्सर सटीकता और समय की समझ दिखाई देती है। यही कारण है कि उनकी कही बातें अक्सर सदन में हलचल मचा देती हैं,कभी गंभीर बहस को दिशा देती हैं, तो कभी माहौल को हल्का कर देती हैं।
राज्य के सामने बेरोजगारी, विकास, कानून-व्यवस्था जैसे कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर सदन में लगातार चर्चा होती रहती है। लेकिन ऐसे गंभीर माहौल के बीच कभी-कभार आए हल्के-फुल्के पल न सिर्फ तनाव कम करते हैं, बल्कि चर्चा को और अधिक जीवंत भी बनाते हैं।
“पन्ना लेकर बाबा बोलेंगे दो घंटे” और उस पर माता प्रसाद की प्रतिक्रिया-यह महज एक जुमला भर नहीं रहा, बल्कि विधानसभा की कार्यवाही का यादगार पल बन गया। आने वाले समय में जब इस सत्र की चर्चा होगी, तो यह घटना जरूर याद की जाएगी।
Published on:
25 Dec 2025 09:12 am
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