
योगी सरकार की बड़ी चूक, टाइटल सूट से हुआ पतंजलि फूड पार्क पर विवाद
लखनऊ. योगगुरु बाबा रामदेव उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नाराज हैं। नाराजगी इस कदर कि बाबा को मनाने के लिए योगी को रात को फोन करना पड़ा। बाबा मान तो गए लेकिन योगी सरकार पर बड़ा आरोप भी लग गया है। कहा गया कि योगी सरकार कोई काम नहीं कर रही बल्कि यह धींगामुस्ती में व्यस्त है। योगी सरकार का दावा है कि नोएडा में बनने वाले पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क ग्रेटर नोएडा से बाहर नहीं जाएगा। लेकिन पतंजलि के सूत्रों की मानें तो उप्र से बाहर पार्क ले जाने की पूरी तैयारी है।
पतंजलि ग्रुप के प्रवक्ता एस के तिजारावाला के मुताबिक,नोएडा में बनने वाले पतंजलि फूड पार्क की जमीन के टाइटल सूट के लिए केंद्र सरकार की ओर से दो बार नोटिस भेजा गया। लेकिन, योगी सरकार की ओर से पतंजलि को टाइटल सूट नहीं सौंपा गया। बाबा रामदेव का भी कहना है कि केंद्र सरकार के फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय ने अनुमति दे दी थी। लेकिन इसके साथ यह शर्त जोड़ी थी कि जल्द से जल्द मेगा फूड पार्क बना लें। लेकिन, योगी सरकार ने इसके प्रति उदासीन रवैया दिखाया और उसको केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया। यही नहीं योगी सरकार की उदासीनता की वजह से दो और फूड पार्क को लेकर भी दिक्कत हो सकती है।
बालकृष्ण का बड़ा आरोप-यूपी सरकार काम नहीं कर रही
इसके पहले पतंजलि ग्रुप के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने टिविट कर यूपी सरकार पर काम न करने का आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि 'यूपी सरकार के जो भी नुमाइंदे हैं उन्होंने काम नहीं किया इसलिए हम फूड पार्क शिफ्ट कर रहे हैं। योगी सरकार काम नहीं कर रही सिर्फ धींगा-मस्ती हो रही है। बालकृष्ण का कहना है कि पतंजलि ग्रेटर नोएडा में फूड पार्क नहीं बनाएंगा और ज़मीन यूपी सरकार को लौटा दी जाएगी। आचार्य बालकृष्ण का आरोप था कि पतंजलि के लोग मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों और अधिकारियों से भी मिले अपनी समस्या बताई लेकिन बात नहीं बनी।
यूपी सरकार की सफाई
उप्र के फ़ूड प्रोसेसिंग सेक्रेटरी जेपी मीणा का कहना है कि प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन और बैंक लोन से जुड़ी 5 शर्तें होती हैं। जिन्हें किसी भी कंपनी को पूरी करनी होती है। इन शर्तों को पूरी करने के लिए पतंजलि को एक महीने का एक्सटेंशन भी दिया गया। लेकिन पतंजलि ने शर्तें पूरी नहीं कीं। जबकि केंद्रीय उद्योग मंत्रालय द्वारा पतंजलि को इस परियोजना को शुरू करने हेतु जरूरी मंजूरी लेने के लिए जून के अंत तक का समय दिया गया था।
परियोजना रद नहीं
मीणा का कहना है कि परियोजना रद्द नहीं हुई है। पतंजलि को एक महीने का विस्तार दिया गया है। यदि पतंजलि शर्त को पूरा नहीं करती तो प्रोजेक्ट रद्द कर दी जाएगी। गौरतलब है कि मेगा फूड पार्क को 30 महीने के भीतर अमल में लाये जाना चाहिए। तब केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
1666.80 करोड़ रुपये की परियोजना
पतंजलि फूड प्रोजेक्ट की लागत 1666.80 करोड़ रुपए थी। ये फूड पार्क 455 एकड़ में बनना था। फूड पार्क से 10000 से अधिक लोगों को सीधा रोजगार और 80 हजार लोगों को परोक्ष रोजगार मिलता। पतंजलि के मुताबिक यमुना एक्सप्रेस वे आधारित संयंत्र पूरी क्षमता के साथ संचालित होने पर सालाना 25,000 करोड़ रुपये के सामान का उत्पादन होता।
पतंजलि हर्बल के नाम से मिली थी मंज़ूरी
पतंजलि फ़ूड पार्क को मंज़ूरी पतंजलि हर्बल के नाम से मिली थी। लेकिन बाद में पतंजलि इसे पतंजलि फ़ूड पार्क कर दिया गया।
मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक बाबा को मनाने में जुटे उप्र के उद्योग मंत्री सतीश महाना का कहना है कि कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव पास करके इस समस्या को सुलझा लिया जाएगा। गौरतलब है कि यूपी में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस फूड पार्क की आधारशिला रखी थी।
Published on:
06 Jun 2018 01:29 pm
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