10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Women Leadership: लखनऊ के इस मंदिर में महिला महंत समाज में पेश कर रहीं मिसाल, जानिए कौन हैं महंत देव्यागिरि और क्या है उनकी पहचान

Women Empowerment: लखनऊ की महंत देव्यागिरि भारतीय संत परंपरा में एक नई मिसाल पेश कर रही हैं। पुरुष प्रधान अखाड़ों में अपनी जगह बनाकर, वे जूना अखाड़ा की पहली महिला महंत बनीं। आध्यात्मिक ज्ञान, समाजसेवा और महिला सशक्तिकरण के जरिए वे एक नई क्रांति ला रही हैं, जो संत समाज में महिलाओं की भूमिका को नया आयाम दे रही है।

4 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Ritesh Singh

Mar 09, 2025

Lucknow Mahant Devyagiri
Play video

Lucknow Mahant Devyagiri

Women In Spirituality Lucknow temple: जब भी संत परंपरा की बात होती है, तो ज्यादातर पुरुष संतों का नाम सामने आता है, लेकिन लखनऊ की महंत देव्यागिरि इस धारणा को तोड़ते हुए महिला संतों के लिए नई मिसाल पेश कर रही हैं। समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के संकल्प के साथ, महंत देव्यागिरि न केवल एक धार्मिक गुरु हैं, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रही हैं। महंत देव्यागिरि लखनऊ के श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की एकमात्र महिला महंत हैं। उन्होंने पुरुष प्रधान संत परंपरा में अपना विशेष स्थान बनाया और आज वे अपने अद्वितीय व्यक्तित्व, आध्यात्मिक ज्ञान और समाज सेवा की वजह से पूरे देश में चर्चित हैं।

यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि: योगी सरकार का बड़ा कदम

कौन हैं महंत देव्यागिरि

महंत देव्यागिरि का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके अंदर बचपन से ही आध्यात्मिकता और धर्म के प्रति विशेष झुकाव था। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद संन्यास मार्ग को चुना और गुरु परंपरा के तहत दीक्षा लेकर जूना अखाड़ा से जुड़ीं। उनका मानना है कि "धर्म और भक्ति किसी लिंग पर निर्भर नहीं होते, बल्कि यह एक व्यक्ति की आस्था और समर्पण पर निर्भर करता है।" इस विचारधारा के साथ उन्होंने संत परंपरा में कदम रखा और आज वह महिलाओं के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं।

यह भी पढ़ें: लखनऊ में शाही अंदाज में होगी होली! 50 हजारी पिचकारी और 70 हजारी बाल्टी बनी आकर्षण का केंद्र

कैसे बनीं पहली महिला महंत

महंत देव्यागिरि को जब जूना अखाड़ा के नागा संन्यासियों ने महंत पद के लिए चुना, तो यह न केवल उनके लिए बल्कि पूरे संत समाज के लिए ऐतिहासिक क्षण था। आमतौर पर जूना अखाड़ा में पुरुष संतों का वर्चस्व रहा है, लेकिन महंत देव्यागिरि ने इस परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को भी संत समाज में विशेष स्थान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। महंत पद ग्रहण करने के बाद, उन्होंने समाज सेवा और आध्यात्मिक प्रचार-प्रसार को अपनी प्राथमिकता बनाया। आज वे न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का नेतृत्व करती हैं, बल्कि शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण जैसे सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं।

महंत देव्यागिरि की पहचान और योगदान

1. धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में योगदान
महंत देव्यागिरि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, प्रवचनों और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का नेतृत्व करती हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है युवा पीढ़ी को धर्म और भारतीय संस्कृति से जोड़ना।

2. महिला सशक्तिकरण की मिसाल
वह महिलाओं को संत परंपरा से जोड़ने और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं। उनका मानना है कि धर्म और अध्यात्म में महिलाओं की भूमिका पुरुषों के बराबर होनी चाहिए।

3. समाजसेवा और शिक्षा
महंत देववयगिरि कई सामाजिक संगठनों से जुड़ी हुई हैं, जो गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं। वह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाती हैं।

4. पर्यावरण संरक्षण
धार्मिक कार्यों के साथ-साथ, महंत देव्यागिरि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी विशेष अभियान चलाती हैं। वे पेड़ लगाने, गंगा सफाई अभियान और प्लास्टिक मुक्त समाज के लिए कार्यरत हैं।

यह भी पढ़ें: ई-लॉटरी के जरिए लखनऊ में 1041 शराब व भांग की दुकानों का आवंटन, दूसरे चरण में फिर होगी लॉटरी

लखनऊ के इस मंदिर से जुड़ीं महंत देव्या गिरि

महंत देव्यागिरि लखनऊ के प्रसिद्ध श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा मंदिर से जुड़ी हुई हैं। यह मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता और समाजसेवा का केंद्र भी बन चुका है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं और महंत देव्यागिरि के प्रवचनों को सुनकर प्रेरित होते हैं। इस मंदिर में सामूहिक भंडारे, निःशुल्क चिकित्सा शिविर और गरीबों के लिए सहायता कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।

महंत देव्यागिरि की चुनौतियां और संघर्ष

हालांकि महंत देव्यागिरि ने आध्यात्मिक दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली है, लेकिन उनका सफर आसान नहीं था। उन्हें पुरुष संतों के विरोध का सामना करना पड़ा।कई बार समाज में महिलाओं के संत बनने को लेकर संदेह जताया गया।
लेकिन अपनी लगन, समर्पण और तपस्या के बल पर उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया और आज वे एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बन चुकी हैं।

यह भी पढ़ें: ई-लॉटरी प्रक्रिया पूरी, आबकारी विभाग ने फुटकर दुकानों का आवंटन किया

महंत देव्यागिरि का संदेश

महंत देव्यागिरि का मानना है कि –"धर्म और आध्यात्म केवल पुरुषों के लिए नहीं, बल्कि यह सभी के लिए है। महिलाओं को भी संत परंपरा में आगे आकर समाज के कल्याण में योगदान देना चाहिए।" वे सभी महिलाओं से आह्वान करती हैं कि वे अपनी शक्ति और आत्मनिर्भरता को पहचानें और जीवन में नई ऊंचाइयों को छूने का प्रयास करें।

यह भी पढ़ें: होली के दिन UP के पश्चिमी जिलों में बारिश की संभावना, मौसम विभाग का बड़ा अपडेट

महंत देव्यागिरि के कार्यों की सराहना

आज महंत देव्यागिरि को न केवल संत समाज बल्कि आम जनता भी सम्मान की दृष्टि से देखती है। उनकी पहल और समाज सेवा के कार्यों की सराहना पूरे देश में की जा रही है। लखनऊ में उनके मंदिर में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनके नेतृत्व में यह स्थान आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।