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बातें बड़ी-बड़ीः हर पांचवी औरत तक नहीं पहुंचते परिवार कल्याण के उपाय

विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेषः राज्य सरकार कर रही शगुन में कंडोम व गर्भनिरोधक गोलियां बांटने की तैयारी,  केंद्र सरकार ने कहा खराब हैं यूपी के हाल

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sanjiv mishra

Jul 11, 2017

World population day

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डॉ.संजीव
लखनऊ. विश्व जनसंख्या दिवस पर मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाई, एक दिन पहले प्रदेश के दो मंत्रियों रीता बहुगुणा जोशी व सिद्धार्थनाथ सिंह ने बड़ी-बड़ी बातें की। इसके बावजूद इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि तमाम कोशिशों व दावों के बाद भी प्रदेश की हर पांचवीं औरत आज भी परिवार कल्याण के उपायों तक से महरूम है। विश्व जनसंख्या दिवस से पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट यह तथ्य स्वीकार करते हुए यूपी के हाल को बेहद खराब मान रही है। यह स्थिति तब है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार अब शगुन में हर नवविवाहित जोड़े को कंडोम व गर्भनिरोधक गोलियां देने की तैयारी कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस पर सभी राज्यों की रिपोर्ट जारी की है। इसमें यूपी के हाल बेहद खराब पाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश तो सभी विवाहित महिलाओं तक परिवार कल्याण के साधन-संसाधन व उपाय तक नहीं पहुंचा सका है। उत्तर प्रदेश में 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की प्रसूताओं का अध्ययन करने पर पता चला कि 18 फीसद से अधिक को बुनियादी परिवार कल्याण सुविधाओं की जानकारी नहीं थी। केंद्र सरकार की रिपोर्ट में चौंकते हुए लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश की हर पांच में से औसतन एक महिला परिवार कल्याण के बुनियादी उपायों से दूर है। इसके विपरीत संपूर्ण भारत के मामले में यह आंकड़ा 13 फीसद है।

आज भी बीस फीसद बालिका वधू

कानून बनने से लेकर सख्ती के तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश बाल विवाह पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट स्वीकार करती है कि उत्तर प्रदेश में आज भी बीस फीसद विवाह ऐसे होते हैं, जिनमें कन्या की आयु 18 वर्ष से कम होती है। ये बीस फीसद बालिका वधू जनसंख्या वृद्धि में तो सहायक बनती ही हैं, उन्हें तमाम बीमारियां भी घेर लेती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कम आयु में विवाह होने और फिर मां बनने के कारण प्रसूता को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, वहीं जच्चा-बच्चा का जीवन भी खतरे में रहता है।

मिशन परिवार विकास से जोड़ा

परिवार कल्याण व जनसंख्या वृद्धि में उत्तर प्रदेश के बड़ी सहभागिता को देखते हुए केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को मिशन परिवार विकास का हिस्सा बनाया है। केंद्र सरकार ने देश के सात राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड व असम में यह विशेष अभियान शुरू किया है। दरअसल देश की कुल आबादी की 44 फीसद इन राज्यों में रहती है। माना जा रहा है कि इन राज्यों में फोकस पर परिवार कल्याण व जनसंख्या नियोजन को सही राह पर लाया जा सकेगा। इन राज्यों के कुल 145 जिले चिह्नित कर उनमें विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

यहां पैदा होते ज्यादा बच्चे

उत्तर प्रदेश में परिवार कल्याण को लेकर उदासीनता का परिणाम है कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में यहां ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं। जहां राष्ट्रीय स्तर पर एक महिला अपने पूरे जीवन में औसतन 2.4 बच्चों को जन्म देती है, वहीं उत्तर प्रदेश में एक महिला के हिस्से में औसतन 3.1 बच्चे आते हैं। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की विवाहित महिलाओं में से 59 फीसद ही पारंपरिक या आधुनिक गर्भ निरोधक साधनों का इस्तेमाल कर रही हैं। 20.7 फीसद महिलाएं आवश्यकता होने पर भी किसी गर्भनिरोधक साधन का इस्तेमाल नहीं करतीं।