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राजस्थान की राजनीति में Yogi आदित्यनाथ की एंट्री, बोले -सनातन धर्म ही सही रास्ता दिखाएगा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व हिन्दू परिषद नेता और आचार्य धर्मेंद्र महाराज के स्थान पर गुरुवार को विराट नगर पहुंचे। राजस्थान के जयपुर में पड़ने वाले विराट नगर के श्रीपंचखंड पीठाधीश्वर आचार्य के उत्तरधिकारी की चादरपोशी कार्यक्रम में वो सम्मिलित हुए। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने बिना किसी का नाम लिए कुछ ऐसे मुद्दो पर बातें की, जिसका सीधा मतलब राजस्थान की राजनीति में चल रही उठापटक के तौर पर देखा जा रहा है। इस समय राजस्थान सरकार अपने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर परेशान है जहां एक तरफ सीएम अशोक गहलोत स्वयं हैं वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट खुद कुर्सी के पास जाकर वापस आने को मजबूर हो रह

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लखनऊ

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Dinesh Mishra

Oct 06, 2022

Symbolic Photo of Yogi Adityanath in Virat Nagar

Symbolic Photo of Yogi Adityanath in Virat Nagar

राजस्थान की राजधानी जयपुर के विराट नगर में आचार्य धर्मेंद्र जी महाराज के स्वर्गवास के बाद से ही उनका स्थान रिक्त है। जिस पर गुरुवार को चादरपोशी की गई। जिससे अब श्रीपंचखंड पीठाधीश्वर में आचार्य को उत्तराधिकारी मिल गया है। उत्तराधिकारी के रूप में सोमेंद्र जी महाराज की चादरपोशी हुई। इस कार्यक्रम में शामिल होने आए योगी आदित्यनाथ ने जयपुर में संत समागम को भी संबोधित किया। इस दौरान कई प्रकार बातों का ज़िक्र योगी आदित्यनाथ ने किया।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीपंचखण्ड पीठ आचार्य धर्मेंद्र जी के जीवन पर बोलते हुए कहा कि, आचार्य धर्मेंद्र ने गौरक्षा, सनातन धर्म और राम मंदिर को लेकर बड़े आंदोलनों की शुरुआत की थी। उन्होने हमेशा ही अपने कर्तव्य का पालन किया। आचार्य ने सनातन परंपरा को बढ़ाते हुए ऐसे विचारों की स्थापना की थी जिससे समाज को एक दिशा मिलती है। एक साधु एक सन्यासी का काम समाज को सही दिशा देकर उसे आगे बढ़ाना ही है। वो स्वयं को कठिन परिश्थितियों में रखकर भी सबको दिशा दिखाने का काम करता है।

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आपको बताते चलें कि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं गोरखपुर में गोरक्ष पीठाधीश्वर हैं। वो पहले कई बार गोरखपुर से ही सांसद भी रह चुके हैं। जबकि वर्ष 2017 में उन्हें संसदीय सीट से इस्तीफा देकर यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया था। योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय से आते हैं। नाथ सम्प्रदाय सनातन परंपरा का ही भी एक धार्मिक अंग है, जिसे आम तौर पर हिंदूओं के धार्मिक पन्थ के तौर पर भी देखा जाना जाता है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध अनुयायी, शैव अनुयायी एक प्रकार से योग के तौर पर परम्पराओं का समन्वय करते दिखायी देते हैं। नाथ संप्रदाय अथवा इससे जुड़े हुए पंथ पूर्ण योग या हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित है। ऐसे संप्रदाय अथवा पंथ के प्रथम गुरु के तौर पर भगवान शिव हैं जिन्हें ये आराध्य भी मानते हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, पूज्य आचार्य स्वामी धर्मेंद्र जी महाराज के श्री चरणों में नमन करता हूँ, उनका श्री गोरक्षपीठ से तीन पीढ़ियों से संबंध था।

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