
यह आग कब बुझेगी: जिनके खेतों की फसलें जल रहीं थीं वो दहाड़े मारकर रो रहे थे, दर्जन भर किसान तबाह
यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. खेतों में डंठल जलाया जाना अपराध की श्रेणी में आता है। जिस खेत में डंठल जला हुआ पाया जाय उस खेत के स्वामी को जेल भेजे जाने तक प्रावधान है। लेकिन अचरज की बात है। रात-रात भर और कभी-कभी भरी दोपहरी में भी खेतों में गेंहू का डंठल जलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन को यह दिख ही नहीं रही। न तो इस ओर डीएम का ध्यान जा रहा और न ही तहसीलों के एसडीएम और तहसीलदार का। मुकामी पुलिस भी इस आग को नहीं देखती।
हालांकि एडीएम इंद्रभूषण वर्मा इस बात को तस्लीम करते हैं कि, हां ये अपराध है। लेकिन फिर हो कैसे रहा है इस पर वे कहते हैं कि, जिले के थानों और राजस्व अधिकारियों को इस पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया जा चुका है। यानी शासन का निर्देश जिला प्रशासन से होते हुए पुलिस और राजस्व अधिकारियों के बीच झूल रहा है। इधर डंठल जलाकर खेतों को ऊसर बनाने का अपराध जारी है।
खेतों में जलाए जा रहे डंठल से अगल बगल के खेतों तक आग पहुंचने का खतरा रहता ही है, डंठल जलाए जा रहे खेत के ऊसर हो जाने का खतरा अलग रहता है। आग से खेतों के मित्र कीट भी स्वाहा हो जा रहे हैं जिससे अन्न के पैदावार में गिरावट का अंदेशा रहता है। खेतों में आग की वजह से अन्न के उत्पादन में गिरावट के खतरे को भांप सरकार ने डंठल अथवा पुआल जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। साथ ही कृषि विभाग को डंठल जलाने से होने वाले नुकशान को लेकर किसानों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौपी गई है, यह महकमा भी अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। हकीकत तो यह है कि खेतों में डंठल जलाने वाले किसानों को यह तक नही मालूम कि ऐसा कर वे कोई अपराध कर रहे हैं।
इस आग ने एक दर्जन किसानों के अरमान को धुंआ-धुआं कर दिया। खेत में डंठल जला रहे कुछ लोगों की वजह से श्यामदेउरवा थाना क्षेत्र के सियरहीभार गांव के दर्जनों किसानों के मुह का निवाला छिन गया। लगभग सत्तर एकड़ खड़ी गेंहू की फसल आग के लपटों के हवाले हो गयी।
दो दिन पहले जद्दू पिपरा सिवान में कुछ लोगों ने कम्बाईन से कटी फसल के डंठल में आग लगा दी। तेज हवा के कारण आग एकाएक भयावह रूप धारण कर लिया और सियरहीभार गांव के सीवान तक पहुंच गया जहां अभी कई किसानों के गेंहू कटना बाकी रह गए थे। हवा के झोकों की रफ्तार से फैली आग ने लगभग सत्तर एकड़ फसल देखते ही देखते राख कर दी। जिनके खेतों की फसल जल रही थी वे सब के सब अपने खेतों की छाती पीटकर दहाड़े मारकर रो रहे थे।
किसान फखरुद्दीन, राहत हुसेन,समीउल्लाह, अमीरुल्लाह, नुरहसन, जहुर हसन, हकीकुल्लाह, मजीदुल्लाह, इसरार, अमजद, अब्बास, अफलाक अहमद, नेसारुल्लाह,वजाहत, मुखतार,अखतर,मगरु,तालिब इतहार,मुस्तकीम, अब्दुल जब्बार, कुतबुद्दीन, इंसाफ अली,सब्बीर, छोटू,नाजमा, तजीबुद्दीन, अमीनुद्दीन, मेहदीहसन,साकरून,हाजी तारिख आदि किसानों का रो-रो कर बुरा हाल है। अब इन्हें सारी फसल जल जाने के कारण परिवार के जिविकोपार्जन की चिंता सताने लगी है। सियरहीभार के इसी सिवान में चार वर्ष पहले भी आग लगी थी। अधिकारीयों ने मुआवजा देने का भरोसा भी दिया था, लेकिन मिला कुछ नहीं। लिहाजा जिन किसानों का आग से सबकुछ स्वाहा हो गया उन किसानों का सरकार से भी भरोसा उठ चुका है।
Published on:
21 Apr 2018 07:42 am
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