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करोड़पति बना देगा ’21 पत्ती’ वाला बेलपत्र, भारत में सिर्फ यहां मिलेगा

Sawan Somwar 2025: यह दुर्लभ बेल पत्र भोले को चढ़ाने के बाद घर के मेन गेट पर फ्रेम कराने, पूजा स्थल पर, रामायण की किताब में और तिजोरी या अलमारी में रखने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं।

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(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

Sawan Somwar 2025: बेल पत्र के तीन पत्ते भगवान शिव के त्रिनेत्र के रूप में जाता है। यह भी मान्यता है, इसके तीन पत्तों में साक्षात् ब्रह्मा, विष्णु, महेश रहते हैं। लेकिन मंडला में हिरदेनगर की शिव वाटिका में एक बेल पत्र का पेड़ ऐसा भी है, जिसमें 3 से लेकर 21 पत्ते होते हैं। इसमें कई रहस्य छिपे हैं। यह दुर्लभ बेल पत्र भोले को चढ़ाने के बाद घर के मेन गेट पर फ्रेम कराने, पूजा स्थल पर, रामायण की किताब में और तिजोरी या अलमारी में रखने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं। यह आपको करोड़पति भी बना देता है।

इस बारे में पं. विजयानंद शास्त्री का कहना है, यह पेड़ शिव स्वरूप है। इसे श्री वृक्ष भी कहते हैं। मां लक्ष्मी के रूपरूप में यह वृक्ष होता है। इस बेलपत्र से भोले नाथ प्रसन्न होते हैं। जो बेल वृक्ष की सेवा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

पहले आह्वान, फिर तोड़ते हैं बेल पत्र

अखिलेश मिश्रा ने बताया, यह बेल पत्र सावन में होता है। यदि तीन दल से अधिक वाले बेल पत्र शिव को अर्पित करना है तो बेल पत्र तोड़ने से पहले आह्वान करना होता है। इसके बाद एक नरियल बेल पत्र के पेड़ को चढ़ाते हैं। जितनी पत्ती तोड़नी है, उतनी ही मांग की जाती है। इस दुर्लभ पेड़ में 3 से लेकर 21 पत्तियां तक होती हैं।

1862 में लगाया पेड़, शिव मंदिर भी बनाया

हिरदेनगर गांव के मालगुजार मिश्रा परिवार की शिव वाटिका में लगा बेल पत्र औषधीय के साथ शापित भी है। इस पेड़ में 3 से लेकर 21 पत्ते होते हैं। यह 150 साल पुराना है। अखिलेश मिश्रा के पूर्वजों ने इस पेड़ को 1862 में नेपाल से लाकर लगाया। इसी के पास शिव मंदिर बनाया। यहां भोले विराजमान हैं। इस पेड़ में न तो फल होता है और न ही फूल।