
मंडला. जिस बर्फ का इस्तेमाल शव को सडऩे से बचाने एवं मांस-मछली ताजा रखने के लिए किया जाना चाहिए, उसका इस्तेमाल शहर में बर्फ के गोले, लस्सी, जूस में किया जा रहा है। ऐसा खतरनाक बर्फ हर जगह धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने खाद्य और अखाद्य बर्फ के अंतर को आम लोगों के सामने लाने के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके तत्काल बाद जिले के खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस पर अमल करना शुरु कर दिया और जिले भर में बर्फ निर्माताओं को गाइड लाइन जारी कर दिए हैं। विभागीय अधिकारियों ने जानकारी दी है कि दूषित पानी से बनने वाले अखाद्य बर्फ में अब बर्फ निर्माता को इंडिगो केरामाइन (गहरा नील) या ब्रिलिएण्ड ब्लू को 10 पीपीएम तक मिलाना होगा ताकि आम लोगों को आसानी से खाद्य और अखाद्य बर्फ की पहचान हो सके। गौरतलब है कि जिले में बर्फ का निर्माण गंदे पानी से किया जा रहा है। इसमें बोरिंग के पानी से लेकर कुंआ और नलों के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। बर्फ फैक्ट्रियों में न तो सफाई के पुख्ता इंतजाम हैं, न पानी की गुणवत्ता नापने का कोई पैमाना। फैक्ट्रियों में बेची जाने वाली बर्फ के लिए स्पष्ट रूप से यह भी नहीं कहा जा सकता है कि यह बेची जाने लायक है भी या नहीं।
जानकारी के अनुसारा, बर्फ फैक्टरियों द्वारा अखाद्य यानी खाने योग्य नहीं, बर्फ का निर्माण ऐसे पानी से किया जाता हैं जो कि पीने योग्य नहीं होता है। जिसका उपयोग जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों के प्रिजर्वेशन, परिवहन व भंडारण के दौरान किया जाता है। जिसमें मछली, मटका आइस्क्रीम कोल्डड्रिंक्स और पानी की बोतल आदि शामिल हैं। गन्ने का जूस, फ्रूट जूस व लस्सी आदि में इसी बर्फ को मिलाकर बेचा जा रहा है। जिससे खाद्य पदार्थ के संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि अखाद्य एवं खाद्य बर्फ भौतिक रूप से दिखने में एक समान होते हैं।
गर्मी आते ही शहर में बर्फ की बिक्री का कारोबार पानी की तरह बढ़ गया है। जिले में नैनपुर में एक व जिला मुख्यालय में दो बर्फ की फैक्ट्री संचालित हैं। बताया जाता है कि खाद्य बर्फ अधिकांश क्यूब में बनाई जाती है, लेकिन जिले में एक भी बर्फ की फैक्ट्री क्यूब बर्फ बनाने वाली नहीं है। ऐसी बर्फ की मांग भी होटल और बार में होती है। जिले में खाने योग्य बनाने वाली एक भी फैक्ट्री नहीं है लेकिन धड़ल्ले से इसके बदले अखाद्य बर्फ का विक्रय किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, आयुक्त ने खाद्य निरीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि अखाद्य बर्फ की फैक्ट्री का निरीक्षण कर बर्फ में कलर डलाना सुनिश्चित करें। वहीं खाद्य बर्फ की फैक्ट्री में साफ.-सफाई और पेय पानी जो कि बर्फ बनाने के उपयोग में लिया जा रहा है, उसके सैंपल लेने को कहा गया है।
इनका कहना है
जिले में मिलने वाले अखाद्य बर्फ में कलर मिलवाने के लिए हमें दिशा निर्देश मिले हैं। जल्द ही बर्फ फैक्ट्री का निरीक्षण शुरु किया जाएगा और जारी गाइड लाईन के अनुसार, बर्फ निर्माण की चेतावनी दी जाएगी। कुछ ही दिनों में अखाद्य बर्फ निर्धारित मापदंड में बाजार में दिखाई देगा।
वंदना जैन, खाद्य सुरक्षा निरीक्षक, मंडला।
Published on:
13 May 2018 05:22 pm
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