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पौराणिक महत्व रखता है नर्मदा का चक्रतीर्थ घाट

2017 में हुआ था भूमिपूजन अब तक नहीं बना मुण्डन शेड

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पौराणिक महत्व रखता है नर्मदा का चक्रतीर्थ घाट

पौराणिक महत्व रखता है नर्मदा का चक्रतीर्थ घाट

मंडला. जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत देवदरा में पौरणिक महत्व रखने वाले नर्मदा घाट की उपेक्षा की जा रही है। वैसे तो मां नर्मदा के सभी घाट में कोई ना कोई महत्व लिए हुए हैं। लेकिन देवदरा स्थित नर्मदा का चक्रतीर्थ घाट प्रचीन घाटों में से एक है। जिसका नर्मदा पुराण व विष्णु पुराण में भी उल्लेख मिलता है। ओमप्रकाश चौकसे ने बताया कि विष्णु पुराण में बताया गया है कि सुदर्शन चक्र जो कि भगवान विष्णु के द्वार पाल थे उन्होंने धरती पर अवतार लिया। तब पहले नर्मदा के संगम घाट जो पूर्व में देवदरा में था जहां बंजर नदी व नर्मदा नदी का संगम हुआ करता था। वहां सुदर्शन चक्र गिरा और इसके बाद भगवान अजूर्न सहस्त्रबाहु का जन्म हुआ। जिन्होंने धरती में पाप का नाश किया और धर्म की स्थापना की। सुदर्शन चक्र के गिरने के कारण यहां का पानी आज घुमाव दार रूप में बहता है।

यहां देवदरा के साथ ही बिंझिया कटरा व शहरी क्षेत्र के लोग अपने परिजनो की मृत्यु के बाद मुंडन संस्कार कराते हैं। यहां अस्थी विसर्जन भी किया जाता है। लेकिन आज भी यह घाट प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। बारिश के मौसम में भी श्रद्धालु बरगद के पेड़ के नीचे कर्मकांड कराते हैं। वर्ष 2017 में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष संपतिया उइके ने मुंडन शेड व व्यायाम शाला घाट निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था। प्रशासन की अनदेखी के चलते आज तक यहां शेड का निर्माण हुआ है ना ही घाट बना है। कुछ प्रचीन घाट हैं वह भी जर्जर होने लगे हैं। स्नान करने वाले श्रद्धाुलओं को चिकनी मिट्टी होने के कारण फिसलने का डर बना रहता है। वर्तमान में शेड और घाट निर्माण के लिए हुए शिलान्यास का पत्थर भी मौके से गायब हो गया है। बताया गया कि यहां स्थित बरगद का पेड़ भी अन्य पेडों से विचित्र हैं। बरगद के पेड़ की जड़ें दूर तक फैली हुई है। बीच से मिटï्टी बह जाने के कारण मकड़ी के जाल की तरह दिखाई देता है।