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पर्यटन क्षेत्र के विकास से मिलेगा रोजगार

जिला प्रशासन से शुरू की तैयारी, महिला समूह को प्राथमिकता

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पर्यटन क्षेत्र के विकास से मिलेगा रोजगार

पर्यटन क्षेत्र के विकास से मिलेगा रोजगार

मंडला. विश्व पर्यटन दिवस समारोह संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन 1980 में शुरू किया गया था, जो प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है। पर्यटन देश प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में अहम योगदान निभा रहा है। अब जिलास्तर में पर्यटन को रोजगार का साधन बनाने का भी जरिया बनाने का प्रयास किया जाएगा। जिला प्रशासन से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। पर्यटन स्थलों का विकास कर यहां क्षेत्रीय लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे। जिसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। मंडला जिले में पर्यटन से रोजगार के लिए असीम संभावनाएं हैं। प्रकृति ने हमारे जिले को नैसर्गिक स्थलों से मालामाल किया है। पर्यावरण संरक्षण के कार्यां से जुड़े ईको क्लब प्रभारी शिक्षक राजेश क्षत्री का कहना है कि पर्यटन के विकास में 3 आयाम होना आवश्यक है। जिसमें प्रथम धार्मिकता, द्वितीय प्राकृतिक व ऐतिहासिक जो इस जिले को तीनों आयाम प्राप्त है। पवित्र नदी नर्मदा हमारे जिले के मध्य से गुजरती है, जिसके किनारे सैकड़ों वर्षो के पुराने मंदिर आज भी नदी के किनारे विद्यमान है। जो पर्यटन की दृष्टि से रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। इसके साथ ही अनेक स्थल रमणीक प्राकृतिक स्थल हैं जो कि पर्यटन की विकास के लिए अनमोल स्रोत कहे जाते हैं। जैसे घुघुआ फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान, राष्ट्रीय उद्यान कान्हा, खैराकी, सहस्त्रधारा, गरम कुंड आदि जो प्राकृतिक दृष्टि से सुंदर है। इसके साथ ही यहां के जंगल और वन्य जीव जो पूरी दुनिया में मशहूर है।


गौड़कालीन इतिहास से मिलेगा बढ़ावा
जिला प्राकृतिक के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों से भी जुड़ा हुआ है। यहां के गौड वंशकालीन के राजाओं ने अनेक महलों, बावड़ी, मंदिर का निर्माण कराया है। जो कि पर्यटन एवं अनुसंधानकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है। इस जिले के विकास, साथ ही रोजगार प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि इन संसाधनों को समुचित तरीके से दोहन करें। ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके। एक बेहतर प्रबंधन इस जिले के पर्यटन विकास में विशिष्ट योगदान देगा जो मध्य प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्र के विकास में है। विश्व पर्यटन दिवस पर आम जनता का भी कर्तव्य है कि शासन प्रशासन के साथ-साथ आम जनता नागरिक भी इन ऐतिहासिक, धार्मिक, रमणीक स्थलों का संरक्षण में एक कदम आगे आकर अपना योगदान दे। ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक बेहतर भविष्य दे सकें।


तैयार की जा रही कार्ययोजना
जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद पर्यटन को विकसित करते हुए रोजगार की संभावनाएं सृजित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर रहा है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जिले के पर्यटन स्थलों के समूह तैयार किए जाएंगे। पर्यटन विभाग से समन्वय कर विद्यार्थियों की प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। जल्द ही जिले के ऐतिहासिक मंदिरों तथा स्थलों का दस्तावेजीकरण कराते हुए पुस्तक प्रकाशित की जाएगी। जिसे महत्वपूर्ण स्थानों पर विक्रय के लिए उपलब्ध कराएं। सेन्चुरी गेट परिसर निर्माण, शरद उत्सव एवं नर्मदोत्सव के आयोजन, फासिल्स पार्क धनगांव तथा पालासुंदर आदि के संबंध में कार्य योजना तैयार की जा रही है। ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
गर्मकुंड में वोटिंग की तैयारी
जिले से 22 किलोमीटर दूर बबैहा के पास ग्राम पंचायत कोंडरा में प्राचीन गरम पानी का कुंड है। तेज ठंड के दौरान भी यहां का पानी कभी ठंडा नहीं होता। क्षेत्रीय लोगों की मान्यता है कि कुंड में नहाने से सभी रोग दूर हो जाते हैं। शायद यही वजह है कि ज्यादातर लोग यहां गरम पानी के कुंड में नहाने आते हैं। लेकिन अब कलेक्टर ने यहां नहाने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। जिससे क्षेत्रीय लोंगो में नाराजगी देखी जा रही है। हिन्दू सेवा परिषद के प्रदेश सचिव धर्मेन्द्र ठाकुर का कहना है कुंड की पहचान नहाने से ही है। जिसके लिए लोग पहुंचते हैं। यहां साबून सोडा के उपयोग में प्रतिबंध लगाना चाहिए। नहाने पर प्रतिबंध से यहां का महत्व कम हो जाएगा। कलेक्टर ने हाल ही में जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की बैठक में कलेक्टर ने निर्देशित किया कि गर्म पानी कुंड में तत्काल प्रभाव से पर्यटकों का नहाना प्रतिबंधित किया जाए। उन्होंने यहां पर स्व-सहायता समूह द्वारा रेस्टारेंट संचालित कराते हुए स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने तथा पर्यटकों से टिकिट लेने के भी निर्देश दिए। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गर्म पानी कुंड के निकट भराव के पानी में वोटिंग प्रारंभ करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देशित किया है।

गिद्ली घुघरा जल प्रपात
टाटरी राता से पांच किलोमीटर दूर स्थित गिद्ली घुघरा जल प्रपात पर्यटन के रूप में उभरने लगा है। वन विभाग के प्रयास से धीरे-धीरे लोग विशेष पर्वों में पिकनिक का मजा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। पश्चिम सामान्य वन मंडल के बम्हनी परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गिदï्ली घुघरा में बड़े-बड़े पत्थरों के बीच बंजर नदी के निकलती धाराओं दृश्य देखकर लोग अनांदित हो जाते हैं। जंगलों से घिरा यह पर्यटन स्थल मनोरम होने के साथ जोखिम भरा भी है, जिसे सुविधाजनक रूप देने शासन-प्रशासन कार्य कर रहा है। पथरीली पहाडिय़ों व चट्टान निकलते पानी की धार में जलक्रीड़ा तथा वनभोज के लिए अक्सर लोगों की भीड़ यहां जुटती है। खासकर सर्दी के मौसम में पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पिकनिक के लिए परिवार व दोस्तों के साथ हर साल पहुंचते हैं।

पत्थरों में बनी है नाग जोड़ों की आकृति
राष्ट्रीय उद्यान कान्हा के समीप ग्राम पंचायत राता में स्थित रत्नाही पाठ की पहाड़ी लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन रही है। यह पहाड़ी कान्हा मार्ग में पड़ता है जिसकरण जानकारी लगने पर देश विदेश से आने वाले पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां स्थित सिद्ध बाबा सिद्ध पीठ में स्थानीय लोगों द्वारा समय-समय पर धार्मिक आयोजन भी कराए जाते हैं। कान्हा प्रबंधन द्वारा इसे पर्यटन स्थल बनाने की पहल की जा रही है। पहाड़ी क्षेत्र से सन सेट का आनंद लिया जा सकता है साथ ही प्रकृति की अनुपम अलौकिक छटा देखने को मिलती है। चट्टानों के नीचे प्रकृति प्रदत्त नाग जोड़ों की आकृति है। जिसपर लोगों की काफी आस्था है।
विकसित हो रहा मोहगांव निवास का पर्यटन स्थल
विधानसभा क्षेत्र निवास के दो मनमोहक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में में विकसित किया जा रहा है। मप्र शासन के पर्यटन विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल से स्वीकृति के बाद काम शुरू कर दिया गया है। विकास कार्य के लिए 129.17 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। पर्यटन स्थल बनाने के लिए घुघरा जलप्रपात निवास व मोहगांव ब्लॉक का लिंगा माल का चयन किया गया है। घुघरा जल प्रपात के लिए 53.36 लाख एवं लिंगा माल के लिए 75.61 लाख रुपए से विकास कार्य किए जा रहे हैं। निवास से 5 किमी दूरी पर घुघरा जल प्रपात स्थित है, इस जल प्रपात को देखने व पिकनिक का आनंद लेने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। वहीं जिला मुख्यालय में मोहगांव मार्ग में 30 किलोमीटर दूर लिंगामाल में धाार्मिक स्थल है। नर्मदा तट में मनमोहक दृश्य देखने के लिए पर्यटक वहां पहुंचते हैं।

जीवाश्म का कर रहे संरक्षित
पश्चिम वनमंडल की टिकरिया रेंज के बबलिया सर्किल में धनगांव के पास साढ़े छह करोड़ पुराने जीवाश्म को संरक्षित करने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है। कम्पार्टमेंट 134 में फॉसिल्स वहीं कम्पार्टमेंट 135 में बाघमाड़ा, 136 में भालूमाड़ा नाम से स्थान हैं। धनगांव के आसपास बहुत से स्थान है जिसमें विकास कार्य कर पर्यटन के लिए सुलभ बनाया जा सकता है। धनगांव के फॉसिल्स को संरक्षित करने व पर्यटन के लिए विकसित करने जिला प्रशासन से प्रयास शुरू कर दिया है।