महामारी के चरम पर खाली पड़े रहे पोषण पुनर्वास केंद्र
मंडला•Jun 03, 2021 / 12:27 pm•
Mangal Singh Thakur
God trust malnourished newborn in corona crisis
मंडला. कोरोना महामारी से पूरा देश ही नहीं, पूरी दुनिया लड़ रही है। इसके बावजूद जिले में कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका वाले नवजात कुपोषित शिशुओं को हाशिए पर ढकेल दिया गया है। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना का अगला चरण, बच्चों के लिए सर्वाधिक खतरनाक हो सकता है। इसके बावजूद जिले में कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र-एनआरसी से दूर रखा जा रहा है। न ही स्वास्थ्य विभाग और न ही महिला बाल विकास विभाग का मैदानी अमला इस ओर ध्यान दे रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कोरोना को हराने की कवायद में जिला प्रशासन और संबंधित विभागों ने जिले के कुपोषित बच्चों को ही हाशिए पर ढकेल दिया।
खाली पड़े रहे पुनर्वास केंद्र
जिले भर में 5 पोषण पुनर्वास केंद्र – एनआरसी स्थापित किए गए हैं। जिला मुख्यालय में सबसे पहले पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई थी। यह 20 बिस्तरीय है। इसके बाद जिले के बिछिया, नारायणगंज, निवास और नैनपुर विकासखंडों में पोषण पुनर्वास केंद्र खोले गए। ये चारों एनआरसी 10-10 बेड के हैं। उक्त सभी एनआरसी में उपलब्ध बेड की दुगुनी क्षमता में एक माह में बच्चे भर्ती किए जा सकते हैं। यानि उक्त एनआरसी में मंडला एनआरसी की मासिक क्षमता 40 बच्चों की, बिछिया, नारायणगंज, निवास और नैनपुर एनआरसी की मासिक क्षमता 20-20 बच्चों को भर्ती करने की है। यानि जिले भर में कुपोषित नवजातों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुल 60 बेड उपलब्ध हैं जहां एक महीने में 120 बच्चों को भर्ती किया जा सकता है।
दो माह मे सिर्फ 28 बच्चे
जिले की पांच एनआरसी में महीने भर में जहां कुल 120 बच्चे भर्ती किए जा सकते हैं। वहां जिले में दो महीनों में इन एनआरसी में मात्र 28 बच्चों को भर्ती किया गया। इनमें से 18 बच्चे अप्रैल माह में एनआरसी केंद्रों में लाए गए तो दूसरी ओर मई महीने में सिर्फ 10 बच्चे इन केंद्रों में लाए गए। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने की कवायद में किस स्तर तक गिरावट आ चुकी है। जबकि जिले में अभी भी 997 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में गिने जा रहे हैं।
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